
शिमला, 30 जून (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बीच राज्य आपात संचालन केंद्र द्वारा सोमवार को जारी भूस्खलन निगरानी रिपोर्ट ने सरकार और जनता दोनों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 22 भूस्खलन संभावित स्थानों को चिन्हित किया गया है। इनमें से 17 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा ‘उच्च’ श्रेणी में दर्ज किया गया है, जबकि एक स्थान को ‘बहुत अधिक खतरे’ की श्रेणी में रखा गया है।
यह रिपोर्ट राज्य के विभिन्न जिलों के संवेदनशील क्षेत्रों से 30 जून तक प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। कांगड़ा जिले के संधोल क्षेत्र को ‘बहुत अधिक खतरे’ वाले स्थान के रूप में दर्ज किया गया है, जो फिलहाल सबसे संवेदनशील ज़ोन घोषित किया गया है।
कुल मिलाकर मंडी जिले के 15 स्थान इस सूची में शामिल हैं। इनमें प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट पराशर, ग्रिफ़ॉन पीक-1 से 10 तक, सनाली और तत्तापानी व विश्वकर्मा मंदिर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वहीं कांगड़ा जिला के 4, शिमला के 2 और सोलन के 1 क्षेत्र को भी ‘उच्च खतरे’ वाले क्षेत्रों में रखा गया है। कांगड़ा जिला का मुख्यालय धर्मशाला और शिमला जिला का जतोग भी उच्च खतरे में शामिल है।
राहत की बात यह है कि कोई भी स्थान ‘खतरनाक स्थिति’ में निष्क्रिय नहीं है और सभी 22 संवेदनशील स्थानों पर निगरानी दल सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। कोटरोपी (मंडी) और बलडूण (कांगड़ा) जैसे दो क्षेत्रों में फिलहाल खतरा नहीं पाया गया है या खतरे का स्तर ‘न्यून’ श्रेणी में है।
वहीं राज्य के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को बताया कि प्रदेशभर में 390 सड़कें बारिश व भूस्खलन के कारण अवरुद्ध हुई हैं, जिन्हें खोलने के लिए 110 विभागीय जेसीबी और 132 किराये की मशीनें युद्ध स्तर पर काम कर रही हैं। विभाग का लक्ष्य है कि अगले तीन दिनों में सभी मार्ग बहाल कर दिए जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि बारिश से जहां कई स्थानों पर पुल टूटने की आशंका है, वहीं वैली ब्रिज जैसे वैकल्पिक पुलों की व्यवस्था भी तैयार की गई है। 20 करोड़ रुपये मूल्य के ये स्टॉक ब्रिज आपात स्थिति में तत्काल लगाए जाएंगे।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 20 से 30 जून के बीच राज्य में 44 लोगों की जान बारिश व उससे जुड़ी घटनाओं में गई है, 82 घायल हुए हैं और 83 मवेशी मारे गए हैं। 35 घर क्षतिग्रस्त, 8 दुकानें और 26 गौशालाएं भी बर्बाद हो चुकी हैं।
इस भीषण मानसूनी कहर में राज्य की संपत्तियों को अब तक करीब 75 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, जिसमें जल शक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग को सबसे अधिक क्षति पहुंची है।
सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे संवेदनशील क्षेत्रों में यात्रा से बचें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें। प्रदेश सरकार व आपदा प्रबंधन टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं और हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
