
जोधपुर, 27 जून (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीपति विनीत माथुर ने एक दीवानी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा पारित पारिवारिक पेंशन से रिकवरी पर रोक लगाने के स्थगन आदेश जारी किए है।
याचिकाकर्ता उमी देवी के अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे ने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर बताया कि उमी देवी एक विधवा महिला हैं, जिसके पति बालुराम शिक्षा विभाग में राजकीय कर्मचारी थे। उनका निधन छह अक्टूबर 2007 को हुआ, जिसके पश्चात पत्राचार करने पर उमी देवी को पारिवारिक पेंशन मिलना प्रारम्भ हुई जो दिसम्बर 2023 तक नियमित मिलती रही। दिसम्बर 2023 से पारिवारिक पेंशन मिलना बंद हो गई तब 12 जुलाई 2024 व नौ सितंबर 2024 को पत्र प्रेषित किए।
विभाग द्वारा पत्र प्रेषित कर याचिकाकर्ता को सूचित किया कि प्राप्त आदेशानुसार पेंशन चार अप्रेल 2013 तक स्वीकृत थी लेकिन बैंक से पांच अप्रेल 2013 से नवम्बर 2021 तक ईनहेन्स पेेंशन का अधिक भुगतान कर दिया, जो 15 लाख 12 हजार 86 रुपए अधिक होना पाया गया तथा अधिक दी गई पेंशन को अविलम्ब कार्यालय में जमा कराने का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ता ने विभाग को पत्र प्रेषित किए, अभ्यावेदन दिए, विधिक नोटिस भेजकर पेंशन शुरू करने की प्रार्थना की लेकिन पेंशन जारी नहीं की गई। अपितु विभाग द्वारा 21 फरवरी 2025 को उमी देवी को पत्र भेजकर कुल 14 लाख 34 हजार 464 रुपए अधिक भुगतान करने व जनवरी 2022 से नवम्बर 2023 तक कुल रिकवरी 3 लाख 59 हजार 200 रुपए कोषालय ग्रामीण जोधपुर से करना बताया तथा बाकी बकाया राशि में पारिवारिक पेेंशन में से रिकवरी करने के आदेश प्रदान किए।
इसके पश्चात याचिकाकर्ता द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष सम्पूर्ण घटनाक्रम बताते हुए दीवानी एकल पीठ याचिका प्रस्तुत की व न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता एक विधवा, बीमार, अनपढ़ महिला है जो पारिवारिक पेंशन पर ही आश्रित हैं। उसे प्रदान की गई अधिक पेंशन में उसकी कोई भूमिका नहीं हैं। विभाग की गलती के लिए उसे दोषी मानकर उसकी पेंशन से रिकवरी किया जाना अनुचित हैं।
न्यायालय द्वारा प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राजस्थान सरकार कार्यालय कोषााधिकारी (ग्रामीण) जोधपुर द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाते हुए पारिवारिक पेंशन से रिकवरी पर रोक लगाने के आदेश पारित किए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे, राजेन्द्र सिंह चौहान व चंदन सिंह सोलंकी ने उपस्थित होकर पक्ष रखा।
(Udaipur Kiran) / सतीश
