
अलवर, 19 जून (Udaipur Kiran) । सिलीसेढ़ लेक क्षेत्र में प्रस्तावित बोरिंग योजना के विरोध में किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। बीते 20 दिनों से सिलीसेढ़ तिराहे पर धरने पर बैठे किसानों ने गुरुवार को ट्रैक्टर मार्च के माध्यम से अलवर शहर की ओर कूच करने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने अहिंसा सर्किल पर रोक दिया।
करीब 500 ट्रैक्टरों के काफिले को रोकने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। शहर के प्रमुख मार्गों पर बैरिकेडिंग की गई है और भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। अलवर-जयपुर वाया उमरैन रोड और अलवर-डाडीकर रोड को पूरी तरह से बंद कर यातायात अवरुद्ध कर दिया गया है।
किसानों का कहना है कि सिलीसेढ़ झील के पास प्रस्तावित बोरवेल्स से क्षेत्र का भूजल स्तर नीचे चला जाएगा, जिससे सिंचाई असंभव हो जाएगी और उनकी आजीविका पर संकट खड़ा हो जाएगा। उनका कहना है कि वे अंत तक विरोध करेंगे और आवश्यकता पड़ी तो जेल जाने को भी तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा 20 मई को अलवर शहर के लिए जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया गया था। इसके तहत सिलीसेढ़ झील के आसपास 30 बोरवेल्स की स्वीकृति दी गई है और बजट भी जारी किया जा चुका है। योजना के अनुसार इन बोरवेल्स से पाइपलाइन के माध्यम से अलवर शहर को पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रशासन द्वारा आंदोलनकारियों से कई दौर की बातचीत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव भूपत सिंह बाल्यान ने बताया कि प्रशासन ने मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखने की बात कही है, लेकिन जब तक किसानों को इसकी पुष्टि नहीं मिलती, वे आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
किसान नेता रामजी लाल बैंसला ने कहा कि हम शांतिपूर्वक ट्रैक्टर रैली निकालकर सिलीसेढ़ तिराहा से आ रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें रोक लिया। बोरिंग विवाद को लेकर हम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र भेजेंगे। जब तक हमें जवाब नहीं मिलता, हमारा धरना सिलीसेढ़ तिराहे पर जारी रहेगा। किसानों का आरोप है कि प्रशासन अब 30 की जगह 20 बोरवेल बनाने का प्रस्ताव दे रहा है, लेकिन वे एक भी बोरवेल की इजाजत नहीं देंगे।
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(Udaipur Kiran)
