
डीएम प्रियंका निरंजन ने किया समापन, प्राकृतिक उत्पादों की प्रदर्शनी रही आकर्षण का केंद्र
मीरजापुर, 17 जून (Udaipur Kiran) । नमामि गंगे की जलज परियोजना के अंतर्गत भारतीय वन्य जीव संस्थान एवं पर्यावरण मंत्रालय के तत्वावधान में मंगलवार को दो दिवसीय जिला स्तरीय नाविक प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन जिला पंचायत सभागार में हुआ। कार्यशाला का उद्देश्य गंगा प्रहरियों के रूप में कार्यरत नाविकों के कौशल और समझ को बढ़ाना था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने कहा कि “जलज” एक नवाचार है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी को आस्था और आजीविका से जोड़ते हुए उसे एक जीवंत नदी के रूप में संरक्षित रखना है। उन्होंने कहा कि जिले के आठ ब्लॉकों से आए 125 नाविकों को प्रशिक्षण देकर गंगा संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और आपदा प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई।
कार्यशाला में भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने नाविकों को गंगा की जैव विविधता, जलीय जीवों की पहचान एवं संकट की स्थिति में उनके संरक्षण के उपायों की जानकारी दी। इसके साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने आपदा प्रबंधन और प्राथमिक उपचार से जुड़े व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि नाविकों को रेस्क्यू किट भी वितरित की गई है और आगे भी यदि वे किसी तरह का प्रशिक्षण लेना चाहें, तो उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने यह भी बताया कि जलज परियोजना के माध्यम से नाविकों को रोजगार, पर्यावरण और पर्यटन के क्षेत्र में बाजार तक पहुंचने के अवसर मिलेंगे।
कार्यशाला के समापन अवसर पर राष्ट्रीय संयोजक एवं परियोजना वैज्ञानिक ने जिलाधिकारी को महिला गंगा प्रहरियों की ओर से बनाए गए नेचुरल प्रोडक्ट्स भेंट किए गए। इसके बाद स्वाति साहा और शिवानी पुंडीर ने कार्यशाला में आयोजित विभिन्न सत्रों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए तथा महिला गंगा प्रहरियों के बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन अतिथियों ने किया।
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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
