West Bengal

डिग्री को लेकर उठे सवाल, डॉक्टर शांतनु सेन को मेडिकल काउंसिल का नोटिस

शांतनु सेन

कोलकाता, 14 जून (Udaipur Kiran) ।

राज्य मेडिकल काउंसिल ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद और प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर शांतनु सेन को उनके पेशेवर पत्रलेख (प्रोफेशनल लेटरहेड) में एफआरसीपी (ग्लासगो) डिग्री के प्रयोग को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शुक्रवार रात सामने आए इस नोटिस में काउंसिल का आरोप है कि यह डिग्री भारतीय मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत नहीं है, और इसके बावजूद डॉक्टर सेन इसे अपने नाम के साथ उपयोग कर रहे हैं, जिससे मरीजों और आम लोगों को भ्रमित किया जा सकता है।

मेडिकल काउंसिल के नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारतीय मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 26 के तहत किसी भी मेडिकल डिग्री का पंजीकरण अनिवार्य होता है। नोटिस के अनुसार, डॉक्टर सेन ने एफआरसीपी (ग्लासगो) डिग्री अपने लेटरहेड पर तो अंकित की है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह महज ‘डिप्लोमा ऑफ फेलोशिप’ है। प्रमाणस्वरूप जो सर्टिफिकेट उन्होंने काउंसिल को दिखाया है, उसमें ‘डिप्लोमा ऑफ फेलोशिप एफआरसीपी (ग्लासगो)’ लिखा है, लेकिन उनके लेटरहेड में ‘डिप्लोमा ऑफ फेलोशिप’ शब्द अनुपस्थित है।

मामले को गंभीर मानते हुए काउंसिल की पेनल एथिक्स कमिटी ने डॉक्टर सेन से 21 दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। उन्हें आवश्यकता पड़ने पर काउंसिल के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर भी अपना पक्ष रखने की अनुमति दी गई है। यदि वे निर्धारित समयावधि में उत्तर नहीं देते या उपस्थित नहीं होते, तो काउंसिल एकतरफा फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगी।

वहीं, इस मामले में डॉक्टर शांतनु सेन ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे ‘व्यक्तिगत आक्रोश और शत्रुता’ का परिणाम बताया है। उन्होंने शनिवार सुबह कहा, मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। मेरे खिलाफ की जा रही यह कार्रवाई पूरी तरह से अनैतिक है। मैंने पहले ही पेनल एथिक्स कमिटी को लिखित में सब कुछ स्पष्ट कर दिया है और दोबारा भी पत्र देकर स्थिति साफ की है। मैं 21 दिनों की समयसीमा से पहले ही यह साबित कर दूंगा कि यह मामला महज निजी रंजिश का परिणाम है।

उल्लेखनीय है कि आरजी कर दुष्कर्म और हत्या मामले में राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने के बाद वह पार्टी स्तर पर भी दरकिनार कर दिए गए हैं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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