
मोठ-ग्वार, खेजड़ी, मधुमक्खी पालन जैसे विषयों पर हुआ मंथन
बीकानेर, 9 जून (Udaipur Kiran) । स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (एसकेआरएयू), बीकानेर की अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक सोमवार को विश्वविद्यालय के मानव विकास सभागार में आयोजित हुई। बैठक में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों ने विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं और फसलों से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।
मुख्य अतिथि के रूप में एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति डॉ. बलराज सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। उन्होंने बीकानेर क्षेत्र की प्रमुख फसलों मोठ और ग्वार पर अनुसंधान को प्राथमिकता देने की आवश्यकता जताई। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में देसी कपास को प्रोत्साहन देने, मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने तथा खेजड़ी में फूलों के बाल फॉर्मेशन की समस्या के समाधान हेतु रसायन आधारित शोध की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. सिंह ने मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए समर सीजन की फसलों की खेती पर भी ध्यान केंद्रित करने की बात कही ताकि पालकों को अन्य क्षेत्रों की ओर न जाना पड़े।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के अनुसंधान कार्यक्रमों से क्षेत्रीय किसानों को लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि पीजी विद्यार्थियों को अधिक एक्सपोज़र देने के लिए उन्हें किसान नवाचार कार्यक्रमों और अन्य विश्वविद्यालयों के अनुसंधान प्रोजेक्ट्स में शामिल किया जाए। साथ ही संरक्षित खेती और जल प्रबंधन जैसे विषयों पर भी अनुसंधान प्रारंभ करने की आवश्यकता जताई।
जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. जे.एस. संधू ने कृषि तकनीक के प्रसार को विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका बताया। उन्होंने तिलहन और दलहन उत्पादन को लेकर केंद्र सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए अनुसंधान का फोकस इन क्षेत्रों पर केंद्रित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रसार शिक्षा और आईएबीएम के माध्यम से युवाओं को एग्रो-बिजनेस से जोड़ने की बात कही।
बैठक में प्रगतिशील किसान कुलजीत सिंह ने किनू और गाजर के लिए उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) स्थापित करने तथा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नए प्रमाणन प्रयोगशालाएं (Certification Labs) स्थापित करने का सुझाव दिया। छतरगढ़ के किसान मघाराम प्रजापत ने भी अपने अनुभव साझा किए।
कृषि विभाग के अधिकारी जयदीप दोगने ने खेजड़ी के फूलों में बटन न बनने और अनार की गुणवत्ता जैसी क्षेत्रीय समस्याओं पर अनुसंधान परियोजनाएं शुरू करने की आवश्यकता बताई।
रिसर्च निदेशक डॉ. विजय प्रकाश ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान उपलब्धियों और पिछले वर्ष की एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की। बैठक में डॉ. सुजीत कुमार यादव, डॉ. पी.के. यादव, डॉ. दाताराम, डॉ. एन.के. शर्मा, डॉ. आर.के. वर्मा सहित कई वैज्ञानिकों ने चल रहे अनुसंधान प्रोजेक्ट्स की जानकारी दी।
खेती की पाठशाला से जुड़े अमित तैलंग ने मूंगफली और कपास की बीमारियों को लेकर किसानों को जागरूक करने के अपने प्रयासों की जानकारी दी।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
