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गोवा और झारखंड में डॉक्टरों के साथ हाल ही में हुई घटनाओं पर आईएमए ने जताई चिंता

आईएमए के अध्यक्ष वी अशोकन

नई दिल्ली, 9 जून (Udaipur Kiran) । भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमआई) ने डॉक्टरों के साथ गोवा और झारखंड में हाल ही में हुई घटनाओं पर अपनी गहरी चिंता और निराशा व्यक्त की है। आईएमए ने मांग की है कि अधिकांश राज्यों में लागू मेडिकेयर सेवा कार्मिक और मेडिकेयर सेवा संस्थान अधिनियम को और मजबूत किया जाए। विशेष रूप से, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा या उत्पीड़न के किसी भी कृत्य को कम से कम सात साल की कैद की सजा के साथ गैर-जमानती अपराध बनाया जाना चाहिए।

आईएमए ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय टास्क फोर्स को रेजिडेंट डॉक्टरों और समग्र रूप से चिकित्सा बिरादरी की सुरक्षा और कल्याण के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू करना चाहिए। डॉक्टर के तौर पर उनकी गरिमा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। डॉक्टर हिप्पोक्रेटिक शपथ को कायम रखने और मानवता की सेवा करने में दृढ़ रहते हैं, इसलिए लोगों से यह भी उम्मीद रहती हैं कि इस सेवा का सम्मान, सुरक्षा और न्याय किया जाए।

आईएमए ने कहा कि जिस तरह से गोवा मेडिकल कॉलेज और हज़ारीबाग सरकारी मेडिकल कॉलेज में राजनीतिक नेताओं ने परेशान किया। ये कार्य न केवल चिकित्सा बिरादरी के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भीतर भय, अविश्वास और मनोबल का माहौल भी बनाते हैं। यह विशेष रूप से शर्मनाक है जब विधिनिर्माता- जिन्हें न्याय और व्यवस्था बनाए रखने का काम सौंपा गया है- ऐसे तरीके से काम करते हैं जो उन सिद्धांतों को कमजोर करते हैं जिनकी रक्षा करने की शपथ उन्होंने ली है। इस तरह का व्यवहार एक खतरनाक मिसाल कायम करता है और शासन और स्वास्थ्य सेवा दोनों में जनता के विश्वास को खत्म करता है। चिकित्सा को हमेशा एक महान पेशे के रूप में माना जाता है- जो करुणा, नैतिकता और रोगी देखभाल के प्रति अटूट प्रतिबद्धता पर आधारित है।

उल्लेखनीय है कि गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने शनिवार को गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्हें डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर द्वारा मरीजों से गलत व्यवहार करने की शिकायत मिली। जिस पर स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर को फटकार लगा दी। साथ ही डॉक्टर को निलंबित करने का आदेश दे दिया। स्वास्थ्य मंत्री के इस व्यवहार की आलोचना होने लगी। कांग्रेस ने भी मंत्री के व्यवहार पर सवाल खड़े किए। मामला बढ़ता देख डैमेज कंट्रोल के लिए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने डॉक्टर के निलंबन को रद्द कर दिया।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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