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कलकत्ता हाई कोर्ट ने बर्खास्त गैर-शिक्षण कर्मियों को राज्य सरकार की आर्थिक सहायता योजना पर फैसला सुरक्षित रखा

कोलकाता, 9 जून (Udaipur Kiran) ।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बर्खास्त किए गए गैर-शिक्षण कर्मियों को दी जा रही आर्थिक सहायता योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ के समक्ष यह याचिका सुनवाई के लिए आई थी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा ग्रुप ‘सी’ और ग्रुप ‘डी’ के कर्मचारियों को क्रमशः ₹25 हजार और ₹20 हजार की एकमुश्त सहायता राशि देने की योजना को चुनौती दी गई थी।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सिन्हा ने सरकार से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद इतनी जल्दी यह योजना लागू करने का निर्णय किस आधार पर लिया गया और इस पर कोई गंभीर विचार-विमर्श क्यों नहीं हुआ। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सहायता राशि की राशि ₹15 हजार और ₹20 हजार कैसे तय की गई?

सरकार की ओर से कहा गया कि यह योजना मानवीय आधार पर उन परिवारों को अस्थायी राहत और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जिनके सदस्य 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया के तहत नौकरी पर थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बर्खास्त हो गए हैं।

यह पूरी नियुक्ति प्रक्रिया पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा संचालित थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से ग्रस्त बताया था। इस प्रक्रिया के तहत नियुक्त कुल 25 हजार 753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षकों (कक्षा नौ से 12) को अस्थायी रूप से पढ़ाने की अनुमति दे दी थी, लेकिन ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ के कर्मचारियों को ऐसी कोई राहत नहीं दी गई। कोर्ट ने राज्य सरकार को 31 दिसंबर तक नई नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश भी दिया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि यह सहायता केवल एक बार दी जा रही है ताकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण बेरोजगार हुए परिवारों को कुछ राहत मिल सके।

अब जबकि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है, न्यायमूर्ति सिन्हा ने यह भी पूछा कि जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहेगा, तब तक यह सहायता जारी रहेगी या नहीं? उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या बिना कोई कार्य किए, ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ के कर्मचारियों को यह राशि मिलती रहेगी? इस मामले में अब कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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