
मंडी, 09 जून (Udaipur Kiran) । औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय थुनाग, डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन तथा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में फनैरा वहली टाैर की सतत आजीविका में भूमिका: स्वास्थ्य, पर्यावरण, सांस्कृतिक संरक्षण और उद्यमिता विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन बन्ह की बग्गी पंचायत में किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय ग्रामीण समुदाय को फनैरा वहली जैसे पारंपरिक एवं बहुउपयोगी पौधे के सामाजिक, सांस्कृतिक, औषधीय तथा आर्थिक महत्व से अवगत कराना था। इस अवसर पर पौधे से संबंधित पारंपरिक लोकज्ञान, इसके पर्यावरणीय लाभों और स्वास्थ्य उपयोगिताओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।
वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के जैव संसाधन न केवल सतत आजीविका के सशक्त विकल्प प्रस्तुत करते हैं, बल्कि ग्रामीण समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने और पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होते हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत उद्यमिता एवं ऑनलाइन विपणन पर हैंड्स-ऑन प्रैक्टिकल सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को यह सिखाया गया कि तौर से निर्मित प्लेटों और अन्य उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से किस प्रकार बेचा जा सकता है।
इस अवसर पर डॉ. विजय राणा, डॉ. किशोर शर्मा, डॉ. किशोर कुमार ठाकुर तथा डॉ. सरिता देवी (औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, थुनाग) ने व्याख्यान एवं प्रायोगिक प्रदर्शन दिए। उन्होंने ग्रामीणों को तौर के व्यावसायिक उपयोग, प्रसंस्करण तकनीकों और ई-विपणन की संभावनाओं से अवगत कराया, ताकि वे अपने उत्पादों को व्यापक बाज़ार तक पहुंचाकर आय के नए स्रोत विकसित कर सकें। कार्यक्रम में ग्राम पंचायत प्रधान दया राम ने सीओएच एंड एफ थुनाग तथा आईसीएसएसआर की इस पहल का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय कृषकों, महिला स्वयं सहायता समूहों, युवाओं तथा पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
