Jammu & Kashmir

ज्येष्ठ रात्रि पूर्णिमा व्रत 10 जून को तथा ज्येष्ठ दिवा पूर्णिमा व्रत 11 जून को

Rohit

जम्मू, 8 जून (Udaipur Kiran) । सनातन धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन श्री सत्यनारायण व्रत कथा का श्रवण एवं पूजन करना अत्यंत शुभफलदायक माना गया है।

पूर्णिमा तिथि को भगवान श्री गणेश, माता पार्वती, भगवान शिव एवं चंद्रदेव की भी विशेष पूजा का विधान है। इस वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 10 जून मंगलवार को प्रातः 11:36 बजे से होगा, तथा समापन 11 जून बुधवार को दोपहर 01:14 बजे होगा। जो श्रद्धालु रात्रि पूर्णिमा व्रत रखते हैं, वे 10 जून मंगलवार को व्रत करें, और दिवा पूर्णिमा व्रत करने वाले श्रद्धालु 11 जून बुधवार को व्रत करें। शास्त्रों के अनुसार इस दिन तामसिक भोजन, मांस-मदिरा आदि का सेवन वर्जित है। ब्रह्मचर्य का पालन एवं सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। यह न केवल शरीर बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए भी आवश्यक है।

इस दिन तीर्थस्थलों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। यदि तीर्थ यात्रा संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल की कुछ बूँदें मिलाकर स्नान करें तथा पूर्णिमा की पूजा विधिपूर्वक करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत-पूजन से गरीबी दूर होती है एवं घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन व्रती को जल से भरे घड़े, पकवान आदि वस्तुएं किसी जरूरतमंद को दान करनी चाहिए। स्वर्णदान का भी इस दिन विशेष महत्व है।

रात्रि में भगवान विष्णु की पूजा करें, एवं चंद्रमा को दीप, धूप, पुष्प, अन्न, गुड़ आदि से पूजन कर जल अर्पित करें। तत्पश्चात किसी योग्य ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा दान करें और उसे भोजन कराकर ही स्वयं अन्न ग्रहण करें। इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का फल विशेष रूप से प्राप्त होता है। चंद्रमा की पूजा एवं व्रत करने से चंद्र दोष दूर होते हैं और मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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