गुवाहाटी, 8 जून (Udaipur Kiran) । असम सरकार ने असम जातीय परिषद (एजेपी) द्वारा जमीन सुधार प्रक्रिया को लेकर दिए गए बयानों पर स्पष्ट किया है कि आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों को कमजाेर करने का कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। इसके विपरीत, सरकार का उद्देश्य एक ऐसा विधायी ढांचा तैयार करना है जिससे आदिवासी और स्वदेशी लोगों के भूमि अधिकारों को और अधिक मज़बूती दी जा सके।
सरकार ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब कुमार शर्मा की अध्यक्षता वाले आयोग की अनुशंसाओं पर आधारित हैं, जो असम समझौते के क्लॉज 6 के कार्यान्वयन से जुड़े हैं। इन अनुशंसाओं को राज्य सरकार ने स्वीकार किया है और उन पर सक्रिय रूप से अमल किया जा रहा है।
असम सरकार के अनुसार, औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों को आधुनिक युग के अनुरूप बनाना जरूरी है, ताकि पारदर्शिता, समानता और हाशिये पर खड़े समुदायों के भूमि अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके। इसके लिए लैंड गवर्नेंस कमीशन का गठन किया गया है, जो भूमि और राजस्व से जुड़े सभी राज्य क़ानूनों, नियमों, अदालती निर्णयों और नीतियों की समीक्षा करेगा। कमीशन जिन पहलुओं पर विचार करेगा उनमें भूमि अधिकारों की मान्यता, वन व सामुदायिक भूमि, शहरी भूमि, सार्वजनिक भूमि का प्रबंधन व अधिग्रहण, भूमि रिकॉर्ड, मूल्यांकन व कराधान प्रणाली, भूमि विवाद समाधान व्यवस्था व संस्थागत क्षमताओं की समीक्षा, आदिवासी बेल्ट व ब्लॉकों को भूमि हस्तांतरण से बचाने के उपाय, अवैध कब्ज़ों को रोकने के लिए मज़बूत निगरानी तंत्र तथा परंपरागत अधिकारों की रक्षा करते हुए म्यूटेशन व उत्तराधिकार प्रक्रियाओं में सुधार आदि शामिल हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया को दरकिनार करने का आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत है। 9 मई, 2025 को एक सार्वजनिक सूचना जारी की गई थी, जिसमें सभी लाभार्थियों से सुझाव आमंत्रित किए गए थे। अब सरकार इस परामर्श अवधि को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है ताकि अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। साथ ही दाेहराया कि ट्राइबल बेल्टों और ब्लॉकों की कानूनी सुरक्षा को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। भूमि सुधार से जुड़ा ड्राफ्ट विधेयक व्यापक सार्वजनिक परामर्श के बाद ही अंतिम रूप से तैयार किया जाएगा। सार्वजनिक विश्वास, परंपरागत अधिकार और सामाजिक न्याय, सुधार प्रक्रिया के मूल सिद्धांत बने रहेंगे।
प्रदेश सरकार ने सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और समुदाय प्रतिनिधियों से रचनात्मक सहयोग की अपील की है। अपने लिखित सुझाव व आपत्तियां जल्द से जल्द लैंड गवर्नेंस कमीशन को भेजने का आग्रह किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
