
-युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की नई पहल, अब विद्यार्थियों को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
बलरामपुर, 8 जून (Udaipur Kiran) । युक्तियुक्तकरण से बलरामपुर जिले के 14 शिक्षकविहीन स्कूलों को नियमित शिक्षक मिल गए हैं। अभी तक इन स्कूलों के संचालन के लिए संलग्नीकरण करना पड़ता था लेकिन अब यह समस्या दूर हो गई है। राज्य शासन की पहल पर जिले में शिक्षा – व्यवस्था को सुदृढ़ एवं सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण की गई है।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विषयवार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत शिक्षकविहीन एवं एकल शिक्षक वाले स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की ओपन काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थापना की गई है। अब जिले में एक भी विद्यालय ऐसा नहीं बचा है, जहां नियमित शिक्षक नियुक्त न हो।
जिला शिक्षा अधिकारी डीएन मिश्र ने आज रविवार को बताया कि, जिले में पहले 14 प्राथमिक विद्यालय पूर्णतः शिक्षकविहीन थे। इनमें बलरामपुर विकासखंड के प्राथमिक शाला महराजगंज, शंकरगढ़ के दोहना, रामचंद्रपुर के जोगनीपारा, इन्द्रापुर, लावा, केवली, औरंगा, पीपरपान, सुन्दरपुर, परसाखाड़, औराझरिया, वाड्रफनगर के खैरगांव, टोलकुपारा और जरहाटोला शामिल हैं।
अब इन सभी विद्यालयों में पदस्थापना के माध्यम से शिक्षकों की पूर्ति कर दी गई है। पहले इन विद्यालयों में शिक्षकों की अस्थायी व्यवस्था संलग्नीकरण के माध्यम से की जाती थी, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित होती थी। अब विषयवार शिक्षकों की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इससे बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि होगी और ड्रॉपआउट दर में कमी आने की संभावना है। जिला शिक्षा अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य विद्यालयों को बंद करना नहीं, बल्कि संसाधनों और मानव संसाधन का बेहतर समायोजन करना है।
इस प्रक्रिया के तहत जिले के चार ऐसे विद्यालय, जहां छात्रों की संख्या 10 से कम थी, का समायोजन समीपवर्ती विद्यालयों में किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि युक्तियुक्तकरण से विद्यार्थियों को बार-बार स्कूल बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे शैक्षणिक निरंतरता बनी रहेगी। साथ ही, छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित होगा, विद्यालयों में विशेषज्ञ शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी और शिक्षा के स्तर में एकरूपता आएगी। यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करेगा, बल्कि शासन की मंशा के अनुरूप एक मजबूत और सशक्त शिक्षा व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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(Udaipur Kiran) / विष्णु पांडेय
