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जब देश में सारी आशाएं खत्म हो जाती हैं तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही एकमात्र स्थान है जो मदद कर सकता है : अरविंद नेताम

पत्रकारों को संबोधित करते अरविन्द नेताम

रायपुर, 07 जून (Udaipur Kiran) । पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रमुख आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि जब देश में सारी आशाएं खत्म हो जाती हैं तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही एकमात्र स्थान है जो मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजनीतिक संगठन नहीं है। लेकिन इसमें वैचारिक चिंतन-मंथन होता है। मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशासन से प्रभावित हूं। ये बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रमुख आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (रा़.स्व. संघ) के एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद शनिवार को रायपुर में मीडिया से बातचीत में कहीं।

पूर्व मंत्री नेताम ने रायपुर में आज एक निजी होटल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि संघ और आदिवासी समाज के बीच वैचारिक चर्चा कैसे हो? जब 5 माह पहले संघ प्रमुख मोहन भगवत रायपुर आए थे, तब उनके साथ बहुत कुछ चर्चा हुई थी। उसके बाद परसों जब संघ के मंच पर उन्होंने जितने भी मुद्दे उठाए, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उनका जवाब दिया। मैंने धर्मान्तरण के अलावा जल जंगल जमीन के खतरे को बताया। औद्योगिक नीति पर चिंता जताई और कहा कि उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहण मत कीजिए, इससे आदिवासी परिवार का अधिकार रहेगा।

नेताम ने बताया कि यह पहली बार था, जब उन्हें संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला, जिससे उन्हें संघ को करीब से समझने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ उनकी खुली और सार्थक बातचीत हुई, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। विशेष रूप से, संघ और आदिवासी समाज के बीच वैचारिक दूरियों को कम करने के उपायों पर विचार-विमर्श हुआ। नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से आग्रह किया कि आदिवासी समाज में एकजुटता की कमी को दूर करने के लिए कोई रास्ता निकाला जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दौरान लाए गए उदारीकरण ने आदिवासी समाज के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी।

नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत को कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देते हुए संघ की कार्यशैली की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जब देश में सारी आशाएं खत्म हो जाती हैं तो संघ ही एकमात्र स्थान बचता है जो मदद कर सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संघ आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहता रहा है, जिसका वे विरोध करते हैं। हालांकि, उनके दबाव के बाद अब संघ ने ‘आदिवासी’ शब्द का उपयोग शुरू किया है। उन्होंने बताया कि पहले वे डीलिस्टिंग (अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने) के खिलाफ थे, लेकिन अब धर्मांतरण को रोकने के लिए इस मुद्दे पर सहमति जताई है।उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज के जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के मुद्दे को भी संघ के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि अगर समाज का अस्तित्व खतरे में है, तो जो भी इस पर मदद करेगा, हम उससे सहायता लेंगे।

पत्रकारों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के संबंध में पूछे गए प्रश्नों का जवाब देते हुए नेताम ने कहा कि मुझे शक है दीपक बैज ईसाई समाज में कन्वर्ट हो गए हैं। उन्होंने पूछा कि धर्मांतरण को लेकर कांग्रेस की नीति क्या है, दीपक बताएं। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण को लेकर संघ की नीति स्पष्ट है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले दीपक बैज ने अरविंद नेताम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में आमंत्रित किए जाने को लेकर कहा था कि आरएसएस आदिवासियों की शुभचिंतक नहीं हो सकता। अरविंद नेताम हमेशा आदिवासियों से बात करते थे। लेकिन संघ के संपर्क में आने के बाद उनकी बोली और भाषा बदल गई है।

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(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा

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