
लखनऊ, 06 जून (Udaipur Kiran) । किसान अब डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) तकनीक से पारम्परिक रोपाई की जगह सीधे धान के बीज बो सकेंगे। इससे पानी बचत होगी, लागत घटेगी, फसल चक्र में भी सुधार होगा और किसान पहले कटाई कर सकेंगे।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शुक्रवार को औपचारिक रूप से ‘समृद्ध धान नेटवर्क (एसडीएन)’ का शुभारम्भ किया। यह नेटवर्क राज्य में डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) तकनीक को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने और टिकाऊ, जलवायु-स्मार्ट धान उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए गठित एक अग्रणी बहु-हितधारक मंच है।
कृषि निदेशालय के सभागार में आयोजित एसडीएन सम्मेलन में सूर्य प्रताप शाही ने किसानों को टिकाऊ तकनीकों से जोड़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, उन्होंने एसडीएन के सभी साझेदारों को बधाई दी। कहा कि डीएसआर एक आधुनिक कृषि तकनीक है जो पारम्परिक रोपाई की जगह सीधे बीज बोने पर आधारित है। यह तकनीक 30 प्रतिशत तक पानी की बचत, 30 प्रतिशत तक मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी और श्रम लागत में भारी कटौती का वादा करती है। बदलते मौसम, घटते भूजल स्तर और बढ़ती लागत के वर्तमान परिदृश्य में, डीएसआर उप्र जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्य के लिए एक लाभकारी विकल्प के रूप में उभर रहा है।
कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने डीएसआर तकनीक की सम्भावनाओं को रेखांकित करते हुए इसे जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और श्रमिकों की कमी जैसी समस्याओं का समाधान बताया। उन्होंने कृषि विभाग से डीएसआर को हर किसान तक पहुंचाने के लिए जरूरी मशीनों पर सब्सिडी की प्राथमिकता तय करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रमुख सचिव कृषि रविंद्र ने बताया कि एसडीएन एक ऐसा मंच बनेगा जो आंकड़ों की निगरानी, सहयोग और तालमेल को बढ़ावा देगा। उन्होंने डीएसआर की उपयुक्तता का नक्शा तैयार करने, कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से पारम्परिक किस्मों का परीक्षण करने और पूर्वी यूपी के 75 डीएसआर क्लस्टर्स को मान्यता देने के निर्देश दिए। कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि इस मंच का लक्ष्य आने वाले वर्षों में उप्र में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीएसआर तकनीक को अपनाना है, ताकि इसकी पूरी क्षमता का लाभ उठाया जा सके।
बैठक में कृषि विभाग के अंतर्गत एसडीएन सचिवालय की स्थापना, एसडीएन कोर समूह की घोषणा और जिम्मेदारियों का निर्धारण, 2025 खरीफ सीजन के लिए डीएसआर को बढ़ाने की रणनीति तैयार करना, राज्य की प्राथमिकताओं के साथ एसडीएन के उद्देश्यों का समन्वय जैसे प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए। बैठक में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और कोका-कोला फाउंडेशन जैसे विकास भागीदारों की विशेष उपस्थिति रही।
अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने एसडीएन और उप्र एक्सीलरेटर कार्यक्रम के साथ मिलकर काम करने पर उत्साह व्यक्त किया और वैज्ञानिक शोध तथा प्रशिक्षण के माध्यम से टिकाऊ धान प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। बैठक में सरकारी विभागों, शोध संस्थानों, निजी कंपनियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि विज्ञान केंद्रों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों सहित 110 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
