
कानपुर, 06 जून (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में सरोज चंद्रशेखर मेमोरियल अवार्ड समारोह 2025 का आयोजन किया गया। यह समारोह जैव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाली महिला वैज्ञानिकों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया।
यह पुरस्कार प्रोफेसर सरोज चंद्रशेखर की याद में दिया जाता है, जो तपेदिक (टीबी) पर शोध करने वाली एक जानी-मानी वैज्ञानिक थीं। करियर के शुरुआत में प्रोफेसर सरोज चंद्रशेखर ने बॉम्बे विश्वविद्यालय के सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीएससी की। इसके बाद उन्होंने 1950 में यूके के इंपीरियल कॉलेज से बैक्टीरियोलॉजी में पीएचडी की। वे राजधानी दिल्ली विश्वविद्यालय के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में प्रमुख पदों पर रहीं और 1966 से 1969 तक जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय (अमेरिका) में भी पढ़ाया। उनके शोध ने टीबी की बेहतर समझ और इलाज की दिशा में बड़ी मदद की।
समारोह में प्रोफेसर सुजाता शर्मा और डॉ. नगमा परवीन ने प्रेरणादायक भाषण दिया। प्रोफेसर शर्मा, दिल्ली में संरचनात्मक जीवविज्ञान की विशेषज्ञ हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। वहीं, डॉ. नगमा परवीन, आईआईटी कानपुर में रसायन विभाग की फैकल्टी हैं और वे वायरस से जुड़ी रिसर्च पर काम कर रही हैं। डॉ. नगमा और प्रोफेसर शर्मा ने अपने रिसर्च वर्क पर प्रेजेंटेशन दिया।
सम्मानित हाेने वाली महिला वैज्ञानिकों में योगिता कपूर हैदराबाद से हैं, जिन्हें तपेदिक से जुड़ी बैक्टीरिया की वृद्धि और विभाजन पर रिसर्च के लिए अवार्ड मिला। हर्षा रानी– मणिपाल की इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइन्फॉर्मेटिक्स एंड एप्लाइड बायोटेक्नोलॉजी से हैं, जिन्हें कोलोरेक्टल कैंसर में p53 जीन की भूमिका पर रिसर्च करने के लिए सम्मान मिला और अंतिमा अंकिता मेनन – आईआईटी पालक्कड़ की हैं, उन्हें दवा और बायोमार्कर को पहचानने वाले खास बायोसेंसर विकसित किए जाने के लिए सम्मानित किया गया।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
