Uttar Pradesh

देश में सबसे पहले आजाद हुआ था इलाहाबाद : आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय

लियाकत अली

प्रयागराज, 06 जून (Udaipur Kiran) । देश मे सबसे पहले इलाहाबाद आजाद हुआ था। बेशक, वह आजादी सिर्फ 11 दिनों के लिए थी। उस क्रान्ति में हिन्दू और मुसलमानों ने संघटित होकर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे। कौशाम्बी क्षेत्र (तब इलाहाबाद का अभिन्न हिस्सा था) में महगाँव के मौलवी लियाकत अली एक दूरदर्शी नेतृत्वकर्ता थे।

उक्त जानकारी देते हुए ’स्वातन्त्र्य-समर में इलाहाबाद का शंखनाद’ नामक ऐतिहासिक गाथा के लेखक और सम्पादक भाषा विज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बताया, “अन्तिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने इलाहाबाद की कमान लियाकत अली को सौंपी थी। इलाहाबाद के दारागंज, कीडगंज, मीरापुर, दरियाबाद इत्यादि क्षेत्रों के पण्डों ने उस आजादी की लड़ाई में विद्रोहियों का तन-मन-धन से साथ दिया था। अंग्रेजों और उनके आयुध-भण्डार की सुरक्षा के लिए मुगल बादशाह अकबर द्वारा निर्मित कराया गया इलाहाबाद किला एक प्रकार से अभेद्य था। उस किले के भीतर अंग्रेज प्रशासन की ओर से पहले से ही 65 तोपची, 400 घुड़सवार और बड़ी संख्या मे पैदल सैनिक हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तत्पर कर दिये गये थे।

उल्लेखनीय है कि, 6 जून की रात्रि मे 8-9 बजे के मध्य जिस विद्रोह की चिनगारी भड़की थी, वह बाद की रात्रि अवधि में विकराल रूप ले चुकी थी। इलाहाबाद, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, अवध और आसपास के अन्य क्षेत्रों से विद्रोहियों ने एकजुट होकर वहां की पुलिस-चौकियों पर धावा बोल दिया था। दूसरी ओर, जो भारतीय सैनिक अंग्रेजों की सेना मे शामिल थे, उनमे से बहुसंख्य अपने देश के प्रति प्रेम जाग्रत हुआ और उन्होंने भी स्वयं को विद्रोहियों मे शामिल कर लिया था। परिणाम यह हुआ कि भारतीय सैनिकों ने अंग्रेज अधिकारियों के इलाहाबादी विद्रोहियों के विरुद्ध किसी आदेश को मानने से इंकार कर दिया था। अंग्रेजों की सेना मे शामिल भारतीय सैनिकों ने ही उन तोपों के चेहरे अंग्रेजों की ओर घुमा दिये थे और उन पर गोले दागने शुरू कर दिये थे। वहां मोर्चा संभाले दोनो लेफ्टिनेण्ट एलेक्जेण्डर और हावर्ड वहां से भागने लगे। परन्तु विद्रोहियों ने दोनों पर निशाने साधे, जिसमें हावर्ड तो भागने में सफल रहा, जबकि एलेक्जेण्डर मारा गया था। विद्रोहियों ने जिधर भी अंग्रेज अधिकारियों को देखा, मार डाला। जो भारतीय बन्दी थे, उन्हें आजाद कराया।

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय के अनुसार, सुबह होते-होते (7 जून, 1857 ई०) इलाहाबाद-कोतवाली भवन के ऊपर स्वाधीनता सूचक हरा झण्डा लहरा दिया गया था। बहादुर शाह जफर ने विद्रोह के नेतृत्वकर्ता मौलवी लियाकत अली को आजाद इलाहाबाद का प्रमुख नियुक्त करते हुए, उन्हें सारे अधिकार सौंप दिये थे। इलाहाबाद को आजाद कराने के बाद मौलवी लियाकत अली ने ख़ुसरोबाग, इलाहाबाद से अंग्रेजों की सरकार के समानान्तर अपना शासन-संचालन किया था। उन्होंने ख़ुसरोबाग से ही अपना शासन संचालित करते हुए कासिम अली और अशरफ को कोतवाल बनाया था तथा सैफउल्लाह और सुखराम को चायल का तहसीलदार नियुक्त किया था।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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