
अभियुक्त पर था एक लाख का इनाम घोषित, मंगलवार को हर काम शगुन रूप में करता, शादी में आने पर धरा गया
जोधपुर, 5 जून (Udaipur Kiran) । जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने मादक पदार्थ तस्करी के एक वांटेड को गिरफ्तार किया है। उस पर एक लाख का इनाम घोषित होने के साथ वह राजस्थान का किंगपिन माना जाता था।
जोधपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि साइक्लोनर टीम ने लगातार कहर बरपाते हुए मादक द्रव्यों के धन्धे को निर्मूल करने की दिशा में काम करते हुए इस कारोबार के एक मुख्यतम सूत्रधार गोरधनराम को बड़े ही खतरनाक व दुस्साहसी ऑपरेशन में गुरूवार की तडक़े गिरफ्तार किया है। आरोपित बाड़मेर जिले के नागाणा थानान्तर्गत भूरटिया निवासी गोरधनराम पुत्र डूंगरराम को पकड़ा गया है।
आईजी रेंज विकास कुमार के अनुसार वह पिछले चार साल से फरार चल रहा था। उसके खिलाफ एमपी और गुजरात में भी प्रकरण दर्ज है और उसकी सूची मंगाई जा रही है। 12 वर्षों के आपराधिक करियर में गोरधनराम पर मादक द्रव्यों की तस्करी, हत्या का प्रयास, मारपीट, वाहन चोरी, आगजनी, आर्म्स एक्ट इत्यादि के कई सारे मुकदमें दर्ज हैं। शुरुआती प्रकरण में दो-तीन बार जेल की हवा खा चुकने के बाद गोरधनराम फिर कभी भी पुलिस की गिरफ्तारी में नहीं आया।
आरोपित गोरधनराम का बड़ा भाई दिनेश भी कुख्यात तस्कर रह चुका है जो मादक द्रव्यों की तस्करी के प्रकरणों में पांच बार जेल की हवा खा चुकने के बाद आजकल मध्यप्रदेश के जबलपुर में सडक़ निर्माण का ठेकेदार बन बैठा है। दिनेश का बाड़मेर के बलदेव नगर आलीशान रिहायशी मकान भी हैं।
गोरधनराम बचपन से ही बड़े भाई दिनेश की तस्करी के धंधे में बहुत रूचि लेता रहा है। आठवीं में फेल होकर अपराध की दुनिया में विशेष योग्यता लेकर डिग्री हासिल कर ली थी। शुरूआती प्रकरणों में हीं वाहन जलाने, पुलिस कस्टडी से हत्या के आरोपित को छुड़ाकर भगाने तथा सटीक निशाने के साथ फायरिंग का जौहर भी दिखा चुका है।
गोरधन पर मारवाड के तस्करी के तत्कालीन दो मुख्य सूत्रधार विरधाराम सियोल एवं खरताराम गोदारा की उस पर नजर पड़ी। अल्प समय में ही गोरधन दोनों की आंख की पुतली बन बैठा और फिर शुरू हुआ। मध्यप्रदेश, राजस्थान सीमा से वाहन में भर भर कर डोडा चूरा राजस्थान व गुजरात में आपूर्ति करने का सिलसिला जो एक दशक तक फलता फूलता रहा। वर्ष 2018 में पाली में पुलिस से घिर जाने के बाद खरताराम गोदारा फायरिंग में मरा तो दूसरा गुरू विरधाराम सियोल इसी वर्ष सडक दुर्घटना में काल कलवित हो गया। उसके बाद तो गोरधनराम नशे की दुनिया का स्वयंभू सरताज बन बैठा।
आईजी विकास कुमार के अनुसार दोनों कुख्यात तस्कर उस्तादों के चार मुख्य शिष्य थे जो पूरे राजस्थान में तस्करी के चार आधार स्तम्भ बनकर निखरे थे। सभी को साइक्लोनर टीम पकड़ चुकी है। चारों अभियुक्तों अथवा स्तंभों में सावराराम उर्फ सांवरिया जिसकी गिरफ्तारी पर 70 हजार रूपये का इनाम था। पिछले वर्ष ऑपरेशन बंशीधर चलाकर साइक्लोनर टीम ने इसको पकडा था। वहीं दूसरे स्तम्भ भजनलाल जिसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम घोषित था। जिसे इसी वर्ष ऑपरेशन रेड प्रेयरीज चलाकर दबोचा गया। साथ ही तीसरा स्तंम्भ हनुमानाराम था जिसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रूपये का इनाम था जो हाल ऑपरेशन कंटक मोचक में साइक्लोनर टीम का शिकार हुआ। जबकि चौथे स्तंम्म गोरधनराम की गिरफ्तारी पर भी एक लाख रूपये का इनाम घोषित था जो आज ऑपरेशन आरटीआई में साइक्लोनर टीम के हत्थे चढ़ा।
कई तस्कर मारवाड़ इलाका छोडक़र भाग रहे थे तो गोरधनराम ने कभी भी मारवाड़ का इलाका नहीं छोड़ा। बस तस्करी के लिए सप्ताह में एक बार मध्यप्रदेश सीमा पर जाता और शेष समय मारवाड में ही ऐश मौज करता। स्वयंभू सरगना बनने के बावजूद भी गोरधनराम माल लाने व आपूर्ति करने हमेशा खुद गाडी चलाता हुआ जाता और अकेले ही माल लेकर आता था।
किसी ज्योतिषी ने गोरधनराम को बता रखा था कि मंगलवार को उसका कोई भी दुश्मन बाल बांका नहीं कर सकता । इसी को आधार बनाकर गोरधनराम प्रत्येक सप्ताह के मंगलवार को ही मध्यप्रदेश से माल लेकर निकलता तथा कभी भी पकड़ा नहीं गया। घर के सारे समारोह यहां तक कि फुफेरे भाई की परसों की शादी भी गोरधन राम ने मंगलवार को ही रखवायी।
बचपन से ही गोरधनराम क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद का बड़ा फैन था तथा उसने सदा आजाद रहने की कसम खायी थी जो गुरू खरताराम की मौत के बाद अत्यन्त मजबूत हो गयी। गोरधनराम ने कसम खायी थी कि वह कभी भी पुलिस के हत्थे नहीं चढेगा तथा पुलिस अगर उसे घेर भी ले तो वह कई पुलिस वालों को मारकर स्वयं मर जाएगा पर जिन्दा नहीं पकड़ा जाएगा। इसी कसम को निभाते हुए गोरधनराम की तीन बार पुलिस से मुठभेड हुई और तीनों ही बार पुलिस पर फायरिंग कर बच निकलने में कामयाब हो गया था।
आखिरकार लगातार प्रयास करने पर पिता के धर्म बहन के बेटे की शादी की सारी व्यवस्था गोरधन ने ही की है, यह खबर साइक्लोनर टीम तक पहुंच गयी। वह 3 जून को फलसूड इलाके में बारात लेकर फुफेरे भाई को लेकर आया। साइक्लोनर टीम को केटरर भी बनना पड़ा। टीम द्वारा उसकी तस्वीर भी ली गई। मगर टीम पहुंचने से पहले वह चला गया। चालाक गोरधन ने अपनी स्कॉर्पियो तो भाई को दे दी एवं खुद सतर्क रहकर साले की कैम्पर से पीछे से आया। गोरधन ने कैम्पर में ही बिस्तर लगाकर सोने की व्यवस्था कर रखी थी जो टीम की निगाह में आ गयी।
गोरधनराम ने सतर्कता बरतते हुए पूरी रात पलड लाइट जलवा कर रखी कि कोई भी दूर से आता दिख सके। रात भर समारोह मनाने के बाद तडक़े सुबह सोने गया तब मोर की पहली किरण के साथ ही फ्लड लाइट भी ऑफ कर दी गयी। केटरर बने साथियों से इशारा मिलते ही एक किलोमीटर पैदल भागी साइक्लोनर टीम ने उसे पकड़ लिया।
(Udaipur Kiran) / सतीश
