
रांची, 3 जून (Udaipur Kiran) । रांची के बेड़ो स्थित बारीडीह में 36 वां परंपरागत ऐतिहासिक राजकीय पड़हा जतरा और बेड़ो बाजारटांड़ में 59 वां पड़हा जतरा महोत्सव का आयोजन मंगलवार को किया गया। कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हुईं। पड़हा जतरा में हाथी, घोड़ा, ढोल- नगाड़ा और खोड़हा नृत्य मंडली का समागम दिखा।
इस मौके पर कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि पड़हा का मतलब गांव का स्वरूप है। इस शब्द में आदिवासियों की पहचान सामूहिकता छुपी हुई है। रोहतास गढ़ से आए पूर्वजों ने जंगल-झाड़ी को साफ कर रहने लायक बनाया। इसके बाद समाज और गांव के संचालन के लिए पड़हा व्यवस्था की स्थापना की गई। इस व्यवस्था में मंत्री ने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में पड़हा व्यवस्था को लोग अपने- अपने तरीके से संचालित करने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसा करने से समाज की एकता और सामूहिकता को खतरा पैदा हो गया है, लेकिन आज पड़हा जतरा इस बात का प्रमाण है कि आज भी पुरखों की व्यवस्था जीवित है और इस व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि पड़हा व्यवस्था में सिर्फ आदिवासी ही नहीं सदनों का भी संरक्षण निहित है। इस बात को समझने की जरूरत है। ये ऐसा समाज है जहां पुरुषों और महिलाओं को बराबरी के नजरिए से देखा जाता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षित हो कर अपनी पुरखों की पड़हा व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है ।
नई पीढ़ी को इसे गंभीरता से लेना होगा। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को सामाजिक मुद्दों पर व्यक्तिगत हित को त्याग कर एकजुटता दिखाने की जरूरत है।
पड़हा जतरा में दिवाकर मिंज, 12 पड़हा राजा विशाल उरांव, 21 पड़हा राजा महादेव कुजूर, मुखिया सुशांति भगत, नीलमणि भगत, एतवा उरांव, प्रभाकर कुजूर, विनोद उरांव, दीनू उरांव सहित आयोजक मंडली के कई सदस्य उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
