
जयपुर, 2 जून (Udaipur Kiran) । प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों का अब नियमित निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों को समय पर दूर नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। साथ ही अस्पतालों को साफ-सुथरा और मरीजों के अनुकूल (पेशेंट फ्रेंडली) बनाने पर खास ध्यान दिया जाएगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने सोमवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर में निरीक्षण टीमों के साथ बैठक कर यह निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के अस्पतालों का समय-समय पर दौरा करें और जो कमियां मिलें, उन्हें तुरंत दूर करें। खींवसर ने कहा कि डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ मरीजों की सेवा को परिवार के सदस्य की तरह करें। अस्पताल को अपना घर मानकर उसकी देखभाल करें। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में हुए निरीक्षणों में जो कमियां सामने आई हैं, उनकी रिपोर्ट जल्द दें ताकि उन्हें दूर किया जा सके। मंत्री ने चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा चलाए गए निरीक्षण अभियान की तारीफ की और इसे लगातार जारी रखने की बात कही।
चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीष कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री के निर्देश पर शुक्रवार को 33 निरीक्षण टीमों ने राज्य के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में गहन निरीक्षण किया। अस्पतालों की साफ-सफाई, बिजली, उपकरण, भवन, दवाइयों और इलाज की सुविधाओं की जांच की गई। रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और जल्द ही सुधार की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान ने बताया कि अस्पताल परिसरों की साफ-सफाई, भवनों की मरम्मत, मरीजों की सुविधाएं, सुरक्षा व्यवस्था और इलाज की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जाएगा। बिजली, पानी, अग्निशमन और बायोमेडिकल वेस्ट के प्रबंधन पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के साथ समझौता किया है, जिसके तहत अस्पतालों में मरम्मत और रखरखाव के लिए पीडब्ल्यूडी की चौकियां बनाई जाएंगी। यहां 24 घंटे कर्मचारी उपलब्ध रहेंगे। शौचालयों की देखरेख का जिम्मा सुलभ इंटरनेशनल को और अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था सीआईएसएफ को सौंपी जाएगी। अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल ने बताया कि मरम्मत के लिए 84 करोड़ की जरूरत बताई गई थी, जिसके तहत अब तक 44 करोड़ रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति दी जा चुकी है। प्रदेश के 81 अस्पतालों में से 29 में मरम्मत चौकी के लिए जगह तय कर दी गई है और मेंटीनेंस कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है।
—————
(Udaipur Kiran) / रोहित
