
जींद, 1 जून (Udaipur Kiran) । विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत रविवार को कृषि वैज्ञानिकों ने विभिन्न गांवों में जाकर कृषि की आधुनिक तकनीकों के बारे में किसानों को जागरूक किया। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिडारा के प्रभारी डा. रामकरण गौड ने बताया कि कपास में गुलाबी सुंडी का नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।
इसके लिए किसानों को अपने खेत में फैरामोन ट्रैप, दो ट्रैप प्रति एकड़ के हिसाब से लगाने चाहिए और उनमें तीन दिन और रात को गुलाबी सुंडी का वयस्क चैक करना चाहिए कि कितने प्रोड प्रति रात उसके अंदर ट्रैप हुए हैं। अगर प्रति रात छह से आठ प्रौड ट्रैप होते हैं तो हमारे को सुंडी के नियंत्रण के लिए कदम उठाना पड़ेगा।
इसके लिए हम बिजाई से 0 से 60 दिन तक नीम बेस्ड प्रोडक्ट जैसे की नीमबीसीडीन या नीम सीडकर्नल एक्सट्रैक्ट का स्प्रे करना चाहिए। किसानों को विकसित टेक्नोलॉजी के साथ चलना पड़ेगा। आजकल हर किसान भाई के पास मोबाइल फोन होता है वह उसमें अपने फसल की फोटो उतार कर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के व्हाट्सएप पर भी भेज सकते हैं और अपनी समस्या के बारे में पूछ सकते हैं। गांव झील, बडनपुर व सुंदरपुरा में डा. सुरेंद्र मित्तल ने कृषि विज्ञान केंद्रों व वहां पर प्रदान की जाने वाली जानकारियों के बारे में बताया।
डा. राजेश ने मौसम से जुडी जानकारी प्रदान की। पशु चिकित्सक डा. नवीन ने पशुओं के रखरखाव की जानकारी दी। कृषि विशेषज्ञ डा. केशव ने फसल चक्र की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस दौरान यहां पर झील गांव के सरपंच प्रतिनिधि शमशेर, बडनपुर गांव के सरपंच प्रतिनिधि गगनदीप, सुन्दरपुर गांव के सरपंच प्रतिनिधि लखविन्द्र भी मौजूद रहे। गांव गांगोली, मोरखी, भागखेड़ा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के शस्य वैज्ञानिक डा. संदीप सिहाग ने बताया कि धान उगाने की नई तकनीकों व उसमें खरपतवार नियंत्रण व होने वाली बीमारियों के प्रबंधन पर जोर दिया।
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा
