
भीलवाड़ा, 31 मई (Udaipur Kiran) । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सेंट्रल जोनल बेंच भोपाल ने भीलवाड़ा शहर में बड़े पैमाने पर हो रही पेयजल की बर्बादी को गंभीरता सेलेते हुए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यकारी अभियंता को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू द्वारा अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के माध्यम से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए।
याचिकाकर्ता बाबूलाल जाजू ने याचिका में बताया कि पीएचईडी द्वारा लगभग 50 वर्ष पूर्व डाली गई पेयजल पाइपलाइनों की स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है। इन पाइपलाइनों में जंग लग जाने व क्षतिग्रस्त होने के कारण प्रतिदिन लगभग 50 लाख लीटर पेयजल बेकार बहकर बर्बाद हो रहा है। शहर के दो दर्जन से अधिक स्थानों पर पाइप रिसाव के चलते स्थायी जल जमाव की स्थिति बन चुकी है, जिससे न सिर्फ पानी की बर्बादी हो रही है बल्कि नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
जाजू ने यह भी उल्लेख किया कि जितना पानी प्रतिदिन व्यर्थ बहाया जा रहा है, उसी से शहर की कई कॉलोनियों को समुचित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है, जो वर्तमान में जल संकट से जूझ रही हैं।
एनजीटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जलदाय विभाग के कार्यकारी अभियंता को निर्देशित किया है कि वे व्यक्तिगत रूप से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर जल अपव्यय को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। इसमें क्षतिग्रस्त पाइपलाइनों की मरम्मत, नवीन पाइपलाइन बिछाने तथा संबंधित कार्यों की पालना रिपोर्ट एनजीटी में प्रस्तुत करने का आदेश भी शामिल है।
पीठ ने यह निर्देश देते हुए मामले को निस्तारित कर दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि यदि समयबद्ध कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में विभाग की जवाबदेही तय की जाएगी।
यह आदेश न केवल भीलवाड़ा में पानी की मौजूदा समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि प्रशासन को पेयजल प्रबंधन की दिशा में सुधारात्मक कदम उठाने के लिए चेतावनी भी देता है। जनस्वास्थ्य से जुड़े इस महत्वपूर्ण मामले में एनजीटी का यह हस्तक्षेप स्थानीय नागरिकों के लिए राहत की उम्मीद लेकर आया है।
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(Udaipur Kiran) / मूलचंद
