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विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर भ्रामक विपणन रणनीतियों को समझने की आवश्यकताः जेपी नड्डा

राज्यों को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा

नई दिल्ली, 31 मई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने युवाओं में तंबाकू के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर शनिवार को एक्स पर अपने संदेश में नड्डा ने कहा कि युवाओं में तंबाकू की लत लगने से पहले ही उसे रोकने के लिए समाज को एक साथ आना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम, “तंबाकू के विज्ञापन का पर्दाफाश करना: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की चालों को उजागर करना”, भ्रामक विपणन रणनीतियों को समझने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है जो हमारे युवाओं को जोखिम में डालती हैं। नड्डा ने सभी को तंबाकू निषेध में एकजुट होकर स्वस्थ, तंबाकू मुक्त भविष्य के लिए आगे आने का आह्वान किया।

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों पर लगाम लगाने के लिए इस दिन की शुरुआत की थी। पहली बार 31 मई 1988 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया। इसके बाद से हर साल यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा। विश्व तंबाकू निषेध दिवस का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना ही नहीं, बल्कि नीति-निर्माण को मजबूत करना, जनसहभागिता को बढ़ाना और युवाओं को इन उत्पादों से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करना है। स्वास्थ्यकर्मियों, नीति-निर्माताओं, शिक्षकों और समुदायों के बीच सहयोग ही हमें एक तंबाकू-मुक्त भविष्य की ओर ले जा सकता है।

हर साल तंबाकू से लगभग 80 लाख लोग मरते हैं। भारत में ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वेक्षण के अनुसार, 28.6 प्रतिशत वयस्क (लगभग 26.68 करोड़) तंबाकू का किसी न किसी रूप में उपयोग करते हैं- चाहे वह धूम्रपान हो, चबाना हो, दांतों या मसूड़ों पर लगाना हो या सूंघना हो। लगभग 87 प्रतिशत रोज़ाना तंबाकू का सेवन करते हैं, जबकि 13 प्रतिशत कभी-कभार करते हैं। 21.4 प्रतिशत वयस्कों द्वारा प्रयुक्त तंबाकू ‘स्मोकलेस’ (बिना धुएं वाला) होता है, जो धूम्रपान (10.7 प्रतिशत) की तुलना में दो गुना से अधिक है- यह इस बात का संकेत है कि केवल धूम्रपान को नियंत्रित करना पर्याप्त नहीं होगा।

एम्स दिल्ली में तंबाकू छोड़ने के लिए क्लीनिक चलाई जाती हैं और कई अन्य अस्पताल और दांतों के इलाज वाले केंद्रों में भी ऐसी क्लीनिक हैं। ये क्लीनिक लोगों को तंबाकू छोड़ने की सलाह देते हैं, दवाइयां देते हैं, लंबे समय तक मदद करते हैं, तंबाकू से होने वाले मुँह के घाव और कैंसर को जल्दी पहचानने में मदद करते हैं और रोकथाम में सहायक होते हैं।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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