West Bengal

मोदी के आरोपों पर तृणमूल का पलटवार, पांच सवालों के साथ केंद्र सरकार को घेरा

तृणमूल कांग्रेस

कोलकाता, 29 मई (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर लगाए गए आरोपों पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया है। पार्टी ने गुरुवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट कर मोदी सरकार पर ध्यान भटकाने का आरोप लगाया और पांच प्रतिप्रश्न पूछते हुए केंद्र की नीतियों और कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया।

तृणमूल कांग्रेस ने लिखा, मोदी जी ने पांच संकट गिनाए, आइए अब तथ्यों की बात करें। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री को पहले मणिपुर में दो वर्षों से जारी अराजकता की स्थिति को सुधारना चाहिए, जहां कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है।

तृणमूल कांग्रेस के पांच प्रश्न

1. कानून व्यवस्था : तृणमूल ने सवाल किया कि मणिपुर पिछले दो वर्षों से जल रहा है, पहले मोदी सरकार को वहां की स्थिति को नियंत्रित करना चाहिए।

2. महिलाओं की सुरक्षा : पार्टी ने उन्नाव और हाथरस जैसी घटनाओं का हवाला देते हुए भाजपा की चुप्पी और शर्मनाक रिकॉर्ड पर सवाल उठाया।

3. युवा निराशा : तृणमूल ने पेपर लीक, नीट घोटाले और 45 प्रतिशत बेरोजगारी दर को राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया।

4. भ्रष्टाचार : पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के आधे मंत्री जमानत पर हैं, जिससे ‘ईमानदारी’ की राजनीति की साख सवालों में है।

5. वित्तीय प्रतिशोध : तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर दावा किया कि पश्चिम बंगाल को मनरेगा और आवास योजना की धनराशि से जानबूझकर वंचित किया गया है, जो केंद्र की ‘बदले की राजनीति’ का प्रमाण है।

इससे पहले अलीपुरद्वार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल सरकार को ‘निर्मम सरकार’ करार देते हुए उस पर हिंसा, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था की विफलता के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि बंगाल आज पांच बड़े संकटों से जूझ रहा है—हिंसा और अराजकता, महिलाओं की असुरक्षा, युवाओं में निराशा, व्यापक भ्रष्टाचार और गरीबों के अधिकारों का हनन।

प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से मुर्शिदाबाद और मालदा में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये घटनाएं राज्य सरकार की असंवेदनशीलता और विफल प्रशासन का स्पष्ट प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल अब परिवर्तन चाहता है। राज्य की जनता अब क्रूरता और भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि सुशासन की अपेक्षा कर रही है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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