
जैव विविधता के समस्त जीव निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे के लिए जीते हैं
प्रयागराज, 28 मई (Udaipur Kiran) । ईश्वर सरन डिग्री कॉलेज के इको-ग्रीन क्लब की ओर से बुधवार को निर्मला देशपांडे सभागार में अन्तरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. मान सिंह ने संवाद की शुरुआत एक दोहे “वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचय नीर। परमार्थ के कारने साधु न धरा शरीर।“ उन्होंने कहा कि यदि हमें अपनी प्रकृति व जैव विविधता को बचाना व संरक्षण करना है तो हमें अपने भारतीय मूल परम्परा व संस्कृति की ओर लौटना होगा, इसी में जगत का कल्याण है।
प्रो. मान सिंह ने समझाया कि प्रकृति और जैव विविधता के अंग वृक्षधरा का श्रृंगार हैं और सदैव अन्य जीवों के भरण-पोषण के लिए अपना जीवन न्योछावर कर देते हैं और नदियां अपने जल को इस जीव जगत में पाये जाने वाले समस्त जीव-जन्तुओं की तृष्णापूर्ति में समर्पित रहती है। ठीक इसी प्रकार हमारे जैव विविधता के समस्त जीव निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे के लिए जीते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन आज का मानव अपनी लालची प्रवृत्ति के कारण झूठे विकास के प्रतिस्पर्धा में अपने प्रकृति की जैव विविधता का दोहन करता जा रहा है। जो हमे निकट भविष्य में काल के गाल में धकेलने का काम करेगी। प्रो. सिंह ने भारतीय संस्कृति व परम्परागत ज्ञान का उदहारण प्रस्तुत करते हुए बताया कि हमारी संस्कृति में वृक्ष, तालाब, नदियां, पहाड़, जीव-जन्तु, भूमि आदि ये सब साक्षात ईश्वर समान पूजे जाते रहे हैं। आज हमारी नयी पीढ़ियां अपनी संस्कृति से मुंह मोड़कर पाश्चात्य संस्कृति को गले लगा रही है तथा अप्राकृतिक चीजों का उपयोग अपने दैनिक जीवन में निरंतर कर रहें हैं। नतीजन बहुत सारी असाध्य बीमारियों को स्वतः आमंत्रित कर रहे हैं।
इको-ग्रीन क्लब के संयोजक एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ धर्मेंद्र कुमार ने पखवाड़ा कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में कहा कि यह दिन धरती पर मौजूद विभिन्न जीव-जंतुओं, पौधों, सूक्ष्म जीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा और उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। जैव विविधता हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह भोजन, दवाइयों, स्वच्छ जल और जलवायु संतुलन जैसे अनगिनत संसाधनों का आधार है। उन्होंने वर्तमान वर्ष के थीम “प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास“ पर चर्चा करते हुए बताया कि यह विषय न केवल जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी दर्शाता है। यह थीम विशेष रूप से कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा के लक्ष्यों और उद्देश्यों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है, जो पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों के संतुलित सह-अस्तित्व को सुनिश्चित करने की दिशा में एक वैश्विक प्रयास है।
अंत में सभी लोगों को डॉ धर्मेन्द्र कुमार ने इको-ग्रीन क्लब की ओर से जैव-विविधता संरक्षण के लिए प्रतिज्ञा दिलायी। इसके उपरान्त महाविद्यालय परिसर में खाली पड़े ट्री-गॉर्ड में वृक्षारोपण का कार्य किया गया।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
