
-सीएमओ गुरुग्राम की ओर से पांच महीने बाद जांच के बाद केस दर्ज कराया गया
गुरुग्राम, 28 मई (Udaipur Kiran) । यहां एक निजी अस्पताल में पांच महीने पहले डॉक्टर्स की लापरवाही से मौत के मामले की जांच में भी यह साफ हो गया कि डॉक्टरों द्वारा लापरवाही बरतने के कारण महिला की मौत हुई। महिला का पति अपनी पत्नी को बचाने के लिए चिल्लाता रहा। सीएमओ की ओर से इस मामले में जांच रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई है। पुलिस ने अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज किया है।
जानकारी के अनुसार मानेसर निवासी मनोज यादव अपनी पत्नी मोनिका को डिलीवरी के लिए पांच जनवरी 2025 को सुबह तेज पेट दर्द के कारण सेक्टर-83 स्थित सक्षम अस्पताल लेकर पहुंचे थे। पति-पत्नी को अपनी दूसरी संतान आने की खुशी थी। अस्पताल में गर्भवती मोनिका की देखरेख डा. शिखा परमार कर रही थी।
मनोज का आरोप है कि अस्पताल के संबंधित डॉक्टर ने उन्हें पहले तो सिजेरियन डिलीवरी के लिए कहा था, लेकिन बाद में नॉर्मल डिलीवरी की बात कही। मोनिका की दोपहर करीब ढाई बजे डिलीवरी करा दी गई। एक स्वस्थ बच्चे को मोनिका ने जन्म दिया। मनोज के मुताबिक डा. शिखा ने उन्हें बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। डिलीवरी के आधे घंटे बाद मोनिका को दूसरे बेड पर शिफ्ट कर दिया गया। उस समय मोनिका को काफी रक्तस्राव हो रहा था। मनोज ने डॉक्टर को इस बारे में जानकारी दी।
डॉक्टर ने इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया और इसे सामान्य सी बात कहकर टाल दिया।
पत्नी की हालत बिगड़ते देख मनोज यादव ने मोनिका को किसी अन्य अस्पताल में रेफर करने की बात कही। डॉक्टर कोई गंभीर नहीं हुई। शाम करीब पौने सात बजे मोनिका की हालत काफी नाजुक हो गई। वह गंभीर स्थिति में पहुंच गई। तब डॉक्टर्स ने कहा कि मोनिका को बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया है और उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर रहे हैं।
मनोज यादव ने शिकायत में कहा कि अस्पताल के पास एंबुलेेंस तक की व्यवस्था नहीं थी। उसके देखते ही देखते उसकी पत्नी का निधन हो गया। मनोज ने अपनी पत्नी की मौत की जिम्मेदारी डॉ. शिखा व सक्षम अस्पताल के अन्य स्टाफ को बताया। मनोज यादव की शिकायत के बाद सीएमओ की ओर से इस केस में जांच कराई गई। पांच महीने में जांच रिपोर्ट आने के बाद उसे पुलिस को सौंपा गया। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
(Udaipur Kiran)
