HimachalPradesh

सीएंडवी तथा जेबीटी शिक्षक अंतर्जिला स्थानांतरण से वंचित क्यों : डा. मनोज शैल

मंडी, 28 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डा. मनोज शैल ने कहा कि प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग में व्यापक पैमाने पर स्थानांतरण किए जा रहे हैं, जो स्वागत योग्य कदम है। परंतु, अंतर्जिला स्थानांतरण की उपेक्षा ने प्रदेश के सैकड़ों जेबीटी एवं सी एंड वी शिक्षकों को अत्यधिक निराश किया है। वर्षों से अपने गृह जिलों से दूर सेवाएं दे रहे ये शिक्षक अपने परिवारों से दूर रहकर कठिन परिस्थितियों में कार्य कर रहे हैं।

हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. मनोज शैल, प्रदेश महासचिव डॉ अमित शर्मा, वित्तसचिव सोहनलाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ जंगछुब नेगी, रजनीश कुमार, राकेश कुमार, शांता कुमार, महिला संयोजिका अर्चना शर्मा, हमीरपुर के अध्यक्ष नरेश मलोटिया, सोलन के डॉ. कमलकांत गौतम, कांगड़ा के डॉ.अमनदीप शर्मा, ऊना के बलवीर चंद, मंडी के लोकपाल, सिरमौर के अध्यक्ष वेद पराशर, शिमला के अध्यक्ष संजय शर्मा, बिलासपुर के राजेन्द्र शर्मा, कुल्लू के हेमलाल, चम्बा के अमर सेन, लाहौल के सुरेश बोध, एवं किन्नौर के अध्यक्ष फुन्चोक नेगी ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि कुछ जिलों के लिए अंतर्जिला स्थानांतरण का कोटा पूरा होने का दावा शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा है, किंतु वास्तविकता यह है कि बिना सार्वजनिक स्थानांतरण प्रक्रिया के यदि कोटा भर गया, तो इससे यह शंका उत्पन्न होती है कि कुछ स्थानांतरण गोपनीय ढंग से और पहुंच के आधार पर किए गए होंगे।

हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् मुख्यमंत्री महोदय एवं शिक्षा मंत्री से यह मांग करती है कि अंतर्जिला स्थानांतरण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए तथा वर्षों से दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों को उनके गृह जिलों में सेवा देने का अवसर प्रदान किया जाए। विभागीय पोर्टल पर स्थानांतरण की समस्त जानकारी प्रकाशित की जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह न केवल शिक्षकों के पारिवारिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि इससे शिक्षण गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। परिषद् शीघ्र ही एक प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से इस मांग को औपचारिक रूप से सरकार के समक्ष रखेगी।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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