West Bengal

डब्ल्यूबीएसएससी नियुक्ति घोटाला : नई भर्ती के लिए मसौदा अधिसूचना की कानूनी जांच अंतिम चरण में

पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती घोटाला

कोलकाता, 28 मई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) से जुड़ी विवादित भर्तियों को लेकर अब राज्य सरकार ने नई नियुक्ति प्रक्रिया की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा दिए हैं। अधिसूचना जारी होने में अब महज़ 48 घंटे बचे हैं और इसी को देखते हुए राज्य विधिक मामलों के विभाग के अधिकारी मसौदा अधिसूचना की बारीकी से कानूनी जांच कर रहे हैं।

राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना के हर शब्द की विधिक समीक्षा की जा रही है, ताकि उसमें किसी भी प्रकार की कानूनी चुनौती की संभावना न रहे। उन्होंने कहा कि इस बार नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया भले ही डब्ल्यूबीएसएससी के ज़रिये संचालित होगी, लेकिन उस पर मुख्यमंत्री कार्यालय और विधिक विभाग की सीधी निगरानी बनी रहेगी। सरकार की मंशा है कि नई नियुक्ति प्रणाली पूरी तरह से निष्कलंक और पारदर्शी हो।

अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि इस बार पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कुछ विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। जैसे कि लिखित परीक्षा में उपयोग किए गए ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जाएगा, साथ ही उनकी मिरर इमेज को आयोग के सर्वर पर स्टोर किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, परीक्षार्थियों को अपने ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी अपने पास रखने की सुविधा भी दी जाएगी, जिससे वे परीक्षा प्रक्रिया पर संदेह न कर सकें।

मंगलवार शाम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि डब्ल्यूबीएसएससी की नई भर्ती अधिसूचना 30 मई को जारी की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे शिक्षक, जिनकी नियुक्तियां अवैध नहीं थीं लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कारण उनकी नौकरियां चली गईं, उन्हें भी नई परीक्षा में बैठना अनिवार्य होगा।

उल्लेखनीय है कि तीन अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें 25 हजार 753 शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि 31 मई तक नई नियुक्ति प्रक्रिया की अधिसूचना जारी की जाए।

हालांकि, कई ‘निर्दोष’ शिक्षक लगातार यह मांग कर रहे थे कि उन्हें पुनः परीक्षा में बैठने की आवश्यकता न हो, लेकिन मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य सरकार के पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।

इस नई प्रक्रिया पर पूरे राज्य की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह न केवल हजारों बेरोजगार उम्मीदवारों के भविष्य को तय करेगी, बल्कि राज्य सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही की परीक्षा भी लेगी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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