Jammu & Kashmir

डॉ. पी.एस. पठानिया ने खीर भवानी मेला व्यवस्था की समीक्षा की, धर्मार्थ ट्रस्ट की आध्यात्मिक विरासत के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की

डॉ. पी.एस. पठानिया ने खीर भवानी मेला व्यवस्था की समीक्षा की, धर्मार्थ ट्रस्ट की आध्यात्मिक विरासत के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की

जम्मू, 26 मई (Udaipur Kiran) । जम्मू और कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. पी.एस. पठानिया ने ट्रस्ट के अंतर्गत आने वाले मंदिरों के कामकाज और रखरखाव की समीक्षा करने के लिए कश्मीर प्रांत का व्यापक दौरा किया जिसमें गंदेरबल के तुल्ला मुला में पवित्र खीर भवानी मंदिर में आगामी खीर भवानी मेला पर विशेष ध्यान दिया गया। वार्षिक मेला 3 जून को ज्येष्ठ अष्टमी को आयोजित होने वाला है।

माता खीर भवानी के प्राचीन मंदिर में डॉ. पठानिया ने चल रही तैयारियों का विस्तृत निरीक्षण किया और मंदिर अधिकारियों को भक्तों के लिए सुचारू और सुव्यवस्थित व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुविधाओं को तीर्थयात्रियों की हर जरूरत को पूरा करना चाहिए ताकि आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और आरामदायक अनुभव सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने बताया कि चेयरमैन ट्रस्टी डॉ. करण सिंह और अन्य ट्रस्टियों के मार्गदर्शन के बाद धर्मार्थ ट्रस्ट ने पहले ही स्वच्छता, चिकित्सा सहायता, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा और आवास जैसी आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था कर ली है। डॉ. पठानिया ने कहा ट्रस्ट इस पवित्र त्योहार की पवित्रता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, साथ ही आने वाले भक्तों को अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करता है। यात्रा के दौरान उन्होंने गंदेरबल के जिला आयुक्त से भी मुलाकात की और रसद और नागरिक व्यवस्था पर चर्चा की। मेले के दौरान सुरक्षा तैनाती, पेयजल आपूर्ति, बिजली की उपलब्धता और सफाई जैसी प्रमुख चिंताओं की समीक्षा की गई।

डॉ. पठानिया ने जिला प्रशासन के सक्रिय सहयोग की सराहना की और त्योहार के शांतिपूर्ण संचालन के लिए घनिष्ठ समन्वय का आश्वासन दिया। अपने व्यापक मंदिर दौरे के हिस्से के रूप में, डॉ. पठानिया ने शंकराचार्य मंदिर (श्रीनगर), शिव मंदिर (गुलमर्ग), गौरी शंकर मंदिर (पहलगाम) और गधाधर मंदिर (श्रीनगर) सहित कई प्रमुख मंदिरों का भी दौरा किया। उन्होंने प्रत्येक स्थल पर मौजूदा सुविधाओं, चल रहे रखरखाव और धार्मिक प्रथाओं की समीक्षा की। उन्होंने प्रत्येक मंदिर में स्वच्छता, अनुशासन और प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए, तथा इन पवित्र संस्थानों को बनाए रखने के लिए भक्ति और पेशेवर सेवा की आवश्यकता पर बल दिया।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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