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नीति आयोग ने मझोले उद्योगों को भविष्य के वृद्धि इंजन में बदलने पर जोर दिया

नीति आयोग की रिपोर्ट जारी करते उपाध्यक्ष सुमन बेरी और अन्‍य
नीति आयोग की रिपोर्ट जारी करते उपाध्यक्ष सुमन बेरी और अन्‍य

-आयोग ने कहा, मध्यम उद्यम एमएसएमई निर्यात में लगभग 40 फीसदी का योगदान

नई दिल्ली, 26 मई (Udaipur Kiran) । नीति आयोग ने सोमवार को मध्यम उद्यमों के लिए नीति तैयार करने के शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में मध्यम उद्यमों को भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य के विकास इंजन में बदलने के लिए एक व्यापक रोडमैप पेश किया गया है। आयोग का कहना है कि मध्यम उद्यम एमएसएमई निर्यात में लगभग 40 फीसदी का योगदान देते हैं, जो अपार अप्रयुक्त क्षमता को दर्शाता है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी द्वारा नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत और नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी की उपस्थिति में लॉन्च की गई इस रिपोर्ट में मध्यम उद्यमों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण, फिर भी कम-उपयोग की गई भूमिका पर प्रकाश डाला गया है और उनकी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों की रूपरेखा तैयार की गई है। अयोग ने अपनी रिपोर्ट में मध्यम उद्यमों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण, फिर भी कम-से-कम भूमिका पर प्रकाश डाला है।

आयोग की इस रिपोर्ट में उनकी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों की रूपरेखा तैयार की गई है। नीति आयोग ने मझोले उद्योगों को भविष्य के वृद्धि इंजन में बदलने के लिए वित्तीय माध्यमों, प्रौद्योगिकी एकीकरण और एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल की वकालत भी की है। आयोग की रिपोर्ट एमएसएमई क्षेत्र में संरचनात्मक विषमता पर गहराई से चर्चा करती है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान देता है, जो निर्यात का 40 फीसदी हिस्सा है, जबकि 60 फीसदी से अधिक कर्मचारियों को रोजगार देता है।

रिपोर्ट के मुताबिक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद इस क्षेत्र की संरचना असंगत रूप से भारित है, जो पंजीकृत एमएसएमई का 97 फीसदी सूक्ष्म उद्यम हैं, जबकि 2.7 फीसदी छोटे हैं, और केवल 0.3 फीसदी मध्यम उद्यम हैं। यह रिपोर्ट मध्यम उद्यमों की पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए समावेशी नीति डिजाइन और सहयोगी शासन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि, मध्यम उद्यमों का यह 0.3 फीसदी एमएसएमई निर्यात में लगभग 40 फीसदी का योगदान देता है, जो स्केलेबल, नवाचार-आधारित इकाइयों के रूप में उनकी अप्रयुक्त क्षमता को रेखांकित करता है। रिपोर्ट में मध्यम उद्यमों को भारत के आत्मनिर्भरता और 2047 के तहत वैश्विक औद्योगिक प्रतिस्पर्धा की ओर संक्रमण में रणनीतिक अभिनेताओं के रूप में पहचाना गया है।

आयोग की रिपोर्ट में मध्यम उद्यमों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया गया है, जिसमें अनुकूलित वित्तीय उत्पादों तक सीमित पहुंच, उन्नत तकनीकों को सीमित रूप से अपनाना, अपर्याप्त आरएंडडी समर्थन, क्षेत्रीय परीक्षण बुनियादी ढांचे की कमी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों और उद्यम की जरूरतों के बीच बेमेल शामिल हैं। ये सीमाएं उनके पैमाने और नवाचार करने की क्षमता में बाधा डालती हैं।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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