
कोलकाता, 25 मई (Udaipur Kiran) ।नदिया ज़िले के कालीगंज विधानसभा क्षेत्र में आगामी 19 जून को उपचुनाव होने जा रहा है। यह उपचुनाव राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए एक बड़ी अग्निपरीक्षा माना जा रहा है।
यह उपचुनाव तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक नासिरुद्दीन अहमद के फरवरी में आकस्मिक निधन के कारण कराया जा रहा है। वे पहली बार 2011 में कालीगंज से निर्वाचित हुए थे, जब ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में 34 वर्षों के वाम शासन का अंत किया था।
कालीगंज की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी उतार-चढ़ाव भरी रही है। 1977 से लेकर 2011 तक यहां वाम मोर्चा घटक आरएसपी और कांग्रेस के बीच मुकाबले होते रहे हैं।मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के बाद नौ मई को कालीगंज का अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित किया गया। सूची के अनुसार, अब यहां कुल मतदाताओं की संख्या दो लाख 52 हजार 670 है, जो 2021 की तुलना में लगभग दो हजार कम है।
उम्मीदवारी दाखिल करने की अंतिम तिथि दो जून तय की गई है, जबकि तीन जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी और पांच जून तक प्रत्याशी नाम वापस ले सकेंगे। मतगणना 23 जून को होगी।यह उपचुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब ममता सरकार कई विवादों से घिरी हुई है—जैसे कि राज्य संचालित स्कूलों में 25 हजार 753 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की नौकरी जाने का मामला और सरकारी कर्मचारियों को लंबित महंगाई भत्ता भुगतान को लेकर असंतोष।
यह उपचुनाव न केवल कालीगंज की राजनीतिक दिशा तय करेगा, बल्कि राज्य स्तर पर जनता की भावना का भी संकेत देगा।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
