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मंडी में जन्मी प्रवासी कवयित्री ज्योति साहनी की कविता पुस्तक सत्या का विमोचन

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मंडी, 25 मई (Udaipur Kiran) । मंडी में जन्मी वर्तमान में न्यू जर्सी अमेरिका में रहने वाली हिंदी की कवयित्री ज्योति साहनी की तीसरी काव्य कृति का विमोचन जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थाना सभागर मंडी में किया गया। इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने बतौर मुख्यअतिथि और वरष्ठ साहित्यकार डा. गंगाराम राजी ने पुस्तक विमोचन समारोह की अध्यक्षता की। जबिक सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित मनोहर लाल विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

सत्या काव्य संग्रह का विमोचन ज्योति साहनी की माता सत्या देवी के अलावा जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी, डा. गंगाराम राजी, पंडित मनोहर लाल, डा. विजय विशाल के कर कमलों से किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रेवती सैनी ने कहा कि ज्योति साहनी ने दूर देश में रहते हुए भी अपनी भारतीय विरासत, परंपराओं को नहीं छोड़ा, यह बहुत ही प्रेरणादायी है।

उन्होंने कहा कि वे अपने नाना पहाड़ी चूड़ामणी पंडित भवानी दत्त शास्त्री और माता जी के आदर्शों को अपने परिवार और बेटे5बेटी में भी रोपित कर रही है। कवयित्री ज्योति साहनी ने कहा कि वो भले ही अमेरिका में रहती है, मगर अपनी जन्मभूमि मंडी की याद उनके मन सदैव रहती है। इसलिए वह जब भी समय मिलता है अपनी जड़ों की ओर लौटने का प्रयास करती है। यहां के पहाड़ मुझे हर पल अपने पास बुलाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य के संस्कार उन्हें अपने नान जी पंडित भवनी दत्त शास्त्री से मिले, जिन्होंने श्रीमद भगवत गीता और उपनिषदों का अनुवाद मंडयाली बोली में किया था।

इस अवसर पर साहित्यकार मुरारी शर्मा ने ज्योति साहनी की पुस्तक पर आलोचनात्मक लेख पढ़ा। उन्होंने कहा कि किसी भी लेखक से हमारा पहला परिचय उनकी रचनाओं से होता है। और सत्या के माध्यम से ही ज्योति साहनी से परिचय हुआ है। उनकी इन कविताओं में प्रवासी संवेदना और स्मृतियों के माध्यम से कवयित्री अपनी जड़ों की तलाश करती प्रतीत होती है। सत्या पुस्तक में प्रकाशित कविताएं अलग भावभूमि, रचना प्रक्रिया , बिम्ब, प्रतीक, शिल्प, लय और संवेदना के स्तर पर भी ये कविताएं नई धारा की हिंदी कविता से अलहदा है। ज्याति साहनी अपनी कविताओं में बीते हुए कल की यादों की गठरी खाेलते हुए मंडी की गलियों में बिताए उन पलों की ओर लौटती है, वहीं पर भविष्य में भी कुछ बेहतर होगा…इस उम्मीद पर भी वह कायम रहती है। इन कविताओं को आधुनिक हिंदी कविता की कसौटी पर परखने के बजाय प्रवासी हिंदी कविता के धरातल पर देखा व परखा जाना चाहिए।

वहीं पर कवि आलोचक डा.विजय विशाल ने कहा कि ये कविताएं अतीत की यादों को समेटते हुए अमेरिका में भी ज्योति साहनी को अपनी जन्मभूमि मंडी से जोड़ती है। इस अवसर पर डा. गंगा राम राजी ने कहा कि ज्योति साहनी पंडित भवानीदत्त शास्त्री की नातिन होने की वजह से उनसे मिले साहित्य के संस्कारों को सहेज रही है। प्रवासी भारती होने के बावजूद वह अपनी जन्मभूमि के प्रति समर्पित है। इस अवसर पर पंडित मनोहर लाल ने कहा कि साहित्यकारों को किसी भी तरह की राजनीति के प्रभाव न आकर समाज की पक्षधरता में खड़े रहना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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