
-आणंद कृषि विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती विषयक परिसंवाद का आयोजन
आणंद, 25 मई (Udaipur Kiran) । आणंद कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से गुजरात राज्य के कृषि, किसान कल्याण और सहकारिता विभाग द्वारा आयोजित प्राकृतिक खेती परिसंवाद में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि “प्राकृतिक खेती पूरे राष्ट्र का मिशन है। इसे परमकर्तव्य मानकर अपनाना, जन-जन तक पहुंचाना और दूसरों को प्रेरित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
राज्यपाल ने कृषि विभाग के क्षेत्रीय विस्तार अधिकारियों, ग्रामसेवकों, आत्मा परियोजना से जुड़े प्रतिनिधियों, बागायती अधिकारियों, कृषि सखियों, प्रगतिशील किसानों और समुदाय संसाधन व्यक्तियों के साथ संवाद किया। इस दौरान उन्होंने अहमदाबाद, आणंद, खेड़ा, गांधीनगर और बोटाद जिलों के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद स्थापित कर प्राकृतिक खेती को लेकर उनके अनुभव और शंकाएं सुनीं।
राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि किसान अक्सर प्राकृतिक खेती से इसलिए घबराते हैं क्योंकि वे इसे जैविक खेती के समान मान लेते हैं। उन्होंने कहा, “जैविक और प्राकृतिक खेती में मौलिक अंतर है। जैविक खेती में कम उत्पादन और अधिक लागत होती है, जबकि प्राकृतिक खेती सूक्ष्म जीवाणुओं पर आधारित प्रणाली है जिसमें न्यूनतम लागत में अधिक और स्वास्थ्यवर्धक उत्पादन संभव है।”
उन्होंने हरित क्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय एक हेक्टेयर भूमि में मात्र 13 किलोग्राम नाइट्रोजन की सिफारिश की जाती थी, जबकि आज एक एकड़ में 13 थैले नाइट्रोजन डाला जा रहा है। इससे मिट्टी की जैविक गुणवत्ता नष्ट हो रही है। एकमात्र समाधान प्राकृतिक खेती ही है, जिससे मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ती है और उपजाऊपन पुनर्स्थापित होता है।
राज्यपाल ने बताया कि दांतीवाड़ा, आणंद और जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालयों के तीन वर्षों के शोध में यह प्रमाणित हुआ है कि यदि प्राकृतिक खेती को पांच आयामों के साथ पूरी निष्ठा से अपनाया जाए, तो पहले वर्ष से ही रासायनिक खेती के बराबर उत्पादन प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि “प्राकृतिक खेती अपनाना हमारे उस नैतिक दायित्व का हिस्सा है, जो हमें धरती माता, उसकी हवा-पानी और जीवनदायिनी शक्ति को बचाने हेतु प्रेरित करता है।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को राष्ट्रीय मिशन का दर्जा दिया है, जिससे यह अब केवल एक विचार नहीं, बल्कि सरकारी संकल्प बन चुका है। हमें प्रशिक्षक बनकर अन्य राज्यों में भी प्रशिक्षण देना है, इसके लिए हमें सशक्त, जानकार और ईमानदार बनना होगा।”
आणंद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के.बी. कथीरिया ने विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा की। इस अवसर पर कृषि निदेशक पी.एस. रबारी ने परिसंवाद का उद्देश्य समझाया, जबकि अहमदाबाद जोन के संयुक्त कृषि निदेशक एन.एम. शुक्ल ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी प्रवीण चौधरी, जिला विकास अधिकारी देवाहुती, पुलिस अधीक्षक गौरव जसानी सहित कृषि और बागायती विभाग, आणंद कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय
