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कृषि विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मिलेगी उड़ान

jodhpur

मिस्र में होगी कृषि वानिकी पर वैश्विक वैज्ञानिक परिचर्चा

जोधपुर, 24 मई (Udaipur Kiran) । कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर निरंतर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। विश्वविद्यालय और एग्रोफोरेस्ट्री प्रमोशन नेटवर्क, स्विट्जऱलैंड के मध्य करार के तहत चल रही कृषि वानिकी परियोजना ने उल्लेखनीय प्रगति की है। अब यह परियोजना वैश्विक वैज्ञानिक साझेदारी की ओर अग्रसर है।

इसी के तहत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. प्रदीप पगारिया एवं परियोजना की प्रधान अन्वेषक डॉ. कृष्णा सहारण एक जून तक मिस्र (इजिप्ट) की यात्रा पर रहेंगे। इस यात्रा के दौरान वे हेलिओपोलिस यूनिवर्सिटी और सेकेम संस्था के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं के साथ मिलकर कृषि वानिकी पर विचार-विमर्श करेंगे।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि कृषि विश्वविद्यालय अब न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान और सहभागिता में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस साझेदारी के तहत वैज्ञानिक सोच, नये अनुसंधान एवं तकनीकी का हस्तानांतरण होगा, जो कि प्रदेश की किसानों के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होगा। उन्होंने कहा कि दो देशों के आपसी सहयोग से वैश्विक अनुसंधान को भी नई दिशा मिलेगी। उल्लेखनीय है कि डॉ. कृष्णा सहारण पूर्व में ब्रिटेन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय माइकोरायजा सम्मेलन में भाग लेकर विश्वविद्यालय और राज्य का गौरव बढ़ा चुकी हैं।

जैविक खेती, जल संरक्षण पर होगी चर्चा :

इस अंतरराष्ट्रीय संवाद का उद्देश्य शुष्क एवं अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में कृषि वानिकी के प्रभावी मॉडल तैयार करना, जैविक खेती, जल संरक्षण, और मिट्टी की गुणवत्ता सुधार पर संयुक्त अनुसंधान करना है। इससे कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर को वैश्विक नेटवर्क से जोड़ते हुए स्थानीय किसानों को अंतरराष्ट्रीय नवाचारों से लाभान्वित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा। कृषि वानिकी के तहत इंटरक्रॉपिंग और मिश्रित फसल प्रणाली अपनाई जाती है, जिसमें औषधीय फसलें, फलदार वृक्ष, इमारती लकड़ी देने वाले पौधे, पशुचारे के लिए नेपियर घास, और रबी-खरीफ मौसमी फसलें शामिल हैं। यह प्रणाली मृदा में सूक्ष्मजीवीय गतिविधियों (माइक्रोबियल एक्टिविटी) को बढ़ाने के साथ-साथ कार्बन संचय में भी सहायक सिद्ध हो रही है। इस से मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।

यह है सहयोगी संस्थाएं :

एग्रोफोरेस्ट्री प्रमोशन नेटवर्क स्विट्जऱलैंड एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो कृषि वानिकी प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विश्वभर में कार्य कर रहा है। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण करना है। वहीं हेलिओपोलिस यूनिवर्सिटी मिस्र की एक अग्रणी शैक्षणिक संस्था है जो सतत विकास, पर्यावरणीय शिक्षा और जैविक कृषि में अनुसंधान एवं नवाचार के लिए जानी जाती है। इसी तरह सेकेम संस्था भी मिस्र की एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था है जो जैविक कृषि, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, और समाज के समग्र विकास के लिए मिस्र में सतत कार्य कर रही है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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