
जयपुर, 24 मई (Udaipur Kiran) । राज्य सरकार आमजन को बेहतर और सहज स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए गंभीर है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने शनिवार को स्वास्थ्य भवन में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेशभर के चिकित्सा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में संचालित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं को पब्लिक और पेशेंट फ्रेण्डली बनाया जाएगा तथा इनकी प्रभावी क्रियान्विति सुनिश्चित की जाएगी।
राठौड़ ने निर्देश दिए कि लू-तापघात के खतरे को देखते हुए चिकित्सा संस्थानों में सभी जरूरी तैयारियां की जाएं। दवाओं की उपलब्धता, ऑक्सीजन प्लांट्स और जांच उपकरणों की क्रियाशीलता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान में यदि जांच मशीनें लंबे समय तक खराब पाई जाती हैं या मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, तो संबंधित चिकित्सा संस्थान के प्रभारी को जिम्मेदार माना जाएगा और कार्रवाई की जाएगी।
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के हर नागरिक को उसकी जरूरत के अनुसार गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं आसानी से मिलें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ कार्य करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्तर पर कोताही न हो।
उन्होंने कहा कि ‘निरामय राजस्थान’ अभियान को सफल बनाने के लिए सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की एनसीडी (गैर संचारी रोग) स्क्रीनिंग के लक्ष्य शत-प्रतिशत हासिल किए जाएं। इसके साथ ही, ‘टीबी मुक्त भारत’ अभियान को भी मिशन मोड में संचालित किया जाए।
उन्होंने जिलों में टीबी जांच के लिए उपयोग में ली जाने वाली नॉट मशीनों की नियमित मॉनिटरिंग के निर्देश दिए और कहा कि इनका समुचित उपयोग हो, ताकि अधिक से अधिक लोगों की समय रहते पहचान और उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
स्वास्थ्य भवनों की सुरक्षा को लेकर भी उन्होंने अधिकारियों को सचेत किया और कहा कि चिकित्सा संस्थानों के भवनों का समय-समय पर निरीक्षण कर आवश्यक मरम्मत कार्य करवाया जाए। जिन संस्थानों में अब तक फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं हुआ है, वहां इसे तत्काल पूरा कराया जाए ताकि मरीजों, परिजनों और चिकित्सा स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
गर्मी के मौसम में मिलावटखोरी की आशंका को देखते हुए उन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को नियमित रूप से निरीक्षण और फूड सैंपलिंग के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि खुदरा विक्रेताओं और फूड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की जांच की जाए और नियमों के उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई की जाए।
बैठक में दिव्यांगजन प्रमाण पत्र (यूडीआईडी) की लंबित आवेदनों पर भी चर्चा हुई।
प्रमुख शासन सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि तीन महीने में सभी लंबित मामलों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाए और भविष्य में कोई भी दिव्यांगजन प्रमाण पत्र के लिए चक्कर न लगाए। यदि समय पर कार्य पूर्ण नहीं होता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सिलिकोसिस पीड़ितों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन मरीजों को योजनाओं का लाभ तत्काल मिले, यह सुनिश्चित किया जाए। साथ ही चेतावनी दी कि फर्जी जांच रिपोर्ट या दस्तावेज के आधार पर यदि किसी ने अनुचित लाभ लिया या किसी संस्थान ने फर्जी रिपोर्ट बनाई, तो न केवल विभागीय बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
बैठक में आरएमएससीएल की प्रबंध निदेशक नेहा गिरी, खाद्य सुरक्षा आयुक्त एच. गुईटे, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. भारती दीक्षित, अतिरिक्त मिशन निदेशक डॉ. टी. शुभमंगला, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा सहित राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, आरसीएचओ, मेडिकल कॉलेजों के अधीक्षक और जिला क्षय रोग अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े।
राठौड़ ने अंत में दोहराया कि राज्य सरकार की मंशा है कि राजधानी से लेकर गांव-ढाणी तक किसी भी नागरिक को स्वास्थ्य सेवाओं में कठिनाई न हो और यह तभी संभव है जब अधिकारी जिम्मेदारी से कार्य करें और हर स्तर पर निगरानी और जवाबदेही तय हो।
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(Udaipur Kiran) / रोहित
