

– संस्कृति के प्रवाह में पूर्वोत्तर भारत भी उतना ही महत्वपूर्ण: डॉ. सुनील मोहंती
होजाई (असम), 24 मई (Udaipur Kiran) । असम व समूचे पूर्वोत्तर भारत की सभ्यता और संस्कृति, भारत के अन्य हिस्सों से किसी भी रूप में अलग नहीं है। यह एक सतत प्रवाहमान धारा है, जो भारत की एकता का अभिन्न अंग है। भारत के निर्माण में पूर्वोत्तर के वीर-वीरांगना, संत-महापुरुष, सांस्कृतिक कलाकार व साहित्यकारों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायी रहा है। यह विचार दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रवक्ता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, असम क्षेत्र के प्रचार प्रमुख डॉ. सुनील मोहंती ने व्यक्त किए।
वे होजाई जिले के गीताश्रम स्थित संस्कार मंदिर परियोजना में 10 मई से शुरू हुए उत्तर असम प्रांत के 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग (विशेष एवं सामान्य) के समापन समारोह में विशिष्ट वक्ता के रूप में बोल रहे थे। डॉ. मोहंती ने भारत की सांस्कृतिक अखंडता, प्राचीन सभ्यता, गौरवशाली इतिहास, भव्य भौगोलिक स्थिति और आध्यात्मिक एकता के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि ब्रह्मपुत्र घाटी, मेघालय और नगालैंड के कुछ हिस्सों को मिलाकर बने उत्तर असम प्रांत के विभिन्न जिलों से अनेक स्तरों के स्वयंसेवक इस वर्ग में हिस्सा लेते हैं, ताकि वे अपने व्यक्तित्व और संगठन कौशल को निखार सकें।
आज के समापन समारोह की शुरुआत ध्वजारोहण और संघ प्रार्थना के साथ हुई। समारोह में एक हजार से अधिक जनसमूह की उपस्थिति में संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) के 197 तथा संघ शिक्षा वर्ग (विशेष) के 35 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ग के दौरान उन्होंने शारीरिक प्रदर्शन, समूह गीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) के सर्वाधिकारी प्रवीर कुमार बरुवा ने वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इसके बाद अमृत वचन पाठ और व्यक्तिगत गीतों की प्रस्तुति हुई। समारोह को भारतीय तेल निगम के सेवानिवृत्त निदेशक पंकज कुमार गोस्वामी ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समाज की मजबूती के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को समय दे और आपसी संबंधों को प्रगाढ़ करे।
वहीं, संघ शिक्षा वर्ग (विशेष) के वर्गाधिकारी माजेन्द्र गयारी ने समापन समारोह में सहभागी छात्रों को शुभकामनाएं दीं और शॉल-शराबा भेंट कर सम्मानित किया।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
