
नाहन, 24 मई (Udaipur Kiran) । सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है बल्कि इसकी ऐतिहासिक धरोहरें भी इसे विशिष्ट बनाती हैं। इन्हीं धरोहरों में एक अनोखा और श्रद्धा से जुड़ा स्थल है – हाथी की कब्र, जो नाहन-शिमला मार्ग पर स्थित है। यह कब्र रियासतकालीन समय की है और इसे तत्कालीन राजा ने अपने प्रिय हाथी ‘बृजराज’ की स्मृति में 1914 में बनवाया था। राजा को यह हाथी अत्यंत प्रिय था और कहा जाता है कि हाथी को बच्चों से विशेष लगाव था। कब्र पर उर्दू, हिंदी और अंग्रेज़ी में खुदी जानकारी के अनुसार हाथी की मृत्यु के पश्चात राजा ने उसकी याद में यह स्मारक बनवाया।
समय के साथ यह स्थान आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां गुड़ अर्पित करने से मियादी बुखार, मुंहासे और त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है। यहां आने वाले श्रद्धालु ‘मनौती’ मांगते हैं और पूरी होने पर गुड़ और आटे से बना रोट कब्र पर चढ़ाते हैं।
इस ऐतिहासिक धरोहर की देखरेख न्यू कश्यप राजपूत समिति करती है। कब्र के पास ही महर्षि कश्यप का मंदिर भी स्थित है, जहां हर वर्ष विशेष हवन और भंडारे का आयोजन होता है।
आज हाथी की कब्र पर आयोजित विशेष कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने की। उन्होंने महर्षि कश्यप मंदिर में हवन यज्ञ में भाग लिया और हाथी की कब्र पर रोट चढ़ाकर परंपरा का निर्वहन किया।
कार्यक्रम में न्यू कश्यप राजपूत सभा के अध्यक्ष नरेश कश्यप ने बताया कि यह स्थल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, जहां रोगों से मुक्ति की मान्यता है। उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर में सालाना हवन होता है और उसी दिन कब्र पर रोट अर्पित कर पूजा की जाती है।
इस अवसर पर डॉ. बिंदल ने कहा, “भारत की सनातन संस्कृति तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसमें ऋषि परंपरा का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। ऋषि कश्यप जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों के साथ-साथ बृजराज हाथी की कब्र पर रोट चढ़ाने की परंपरा का निर्वहन भी हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव को दर्शाता है।”
(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर
