Uttrakhand

पिथौरागढ़ में भारतीय सेना ने किया सामुदायिक रेडियो ‘पंचशूल पल्स’ का शुभारंभ

सामुदायिक रेडियाे का शुभारंभ करते लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्द्या सेनगुप्ता।
सामुदायिक रेडियाे का शुभारंभ करते लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्द्या सेनगुप्ता।

देहरादून, 23 मई (Udaipur Kiran) । सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक संचार, सांस्कृतिक संरक्षण और समुदाय सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए भारतीय सेना ने पिथौरागढ़ में पहले सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘पंचशूल पल्स’ की शुरुआत की है। इसका उद्घाटन सेंट्रल कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्द्या सेनगुप्ता ने किया।

अग्रिम क्षेत्र में स्थित यह रेडियो स्टेशन भारतीय सेना की एक अभिनव पहल है, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को सशक्त बनाना, स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना, जनहित से जुड़ी जानकारी साझा करना, पर्यटकों को मौसम और मार्ग की स्थिति की जानकारी देना है। यह स्टेशन सेना, सिविल प्रशासन और एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के निकटवर्ती गांवों के नागरिकों के बीच एक प्रभावशाली संचार सेतु के रूप में कार्य करेगा।

‘पंचशूल पल्स’ की टैगलाइन हिल से दिल तक है, जो इस रेडियो स्टेशन की स्थानीय समुदाय से निकटता और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाती है। यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में स्थानीय समस्याओं और सरकारी योजनाओं पर केंद्रित चर्चाएं, ग्रामीणों, युवाओं, पूर्व सैनिकों और महिला नेतृत्वकर्ताओं के साथ साक्षात्कार, कुमाऊं की सांस्कृतिक विरासत, लोक संगीत, त्योहारों और परंपराओं पर आधारित कार्यक्रम, शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल साक्षरता और आपदा प्रबंधन से जुड़ी जागरूकता के साथ ही पर्यटकों और नागरिकों को मौसम एवं सड़कों की जानकारी देगा।

इस रेडियो स्टेशन का नाम ‘पंचशूल पल्स’, पंचशूल पर्वत शृंखला से प्रेरित है, जो इस सीमावर्ती क्षेत्र की दृढ़ता और सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक है। यह पहल भारत सरकार के ‘वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम’ के उद्देश्यों से भी मेल खाती है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और जागरूकता को सुदृढ़ करने के लिए समर्पित है।

उद्घाटन समारोह के अवसर पर, लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने परियोजना के लिए सेना और प्रशासन की सराहना की और स्थानीय नागरिकों से ‘पंचशूल पल्स’ को सहयोग देने और इसे अपनी आवाज़ बनाने का आह्वान किया। उन्होंने इस प्रयास को न केवल एक संवाद मंच, बल्कि एक संवेदनशील, समावेशी और सांस्कृतिक रूप से जीवंत पहल के रूप में भी रेखांकित किया।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal

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