West Bengal

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर भाजपा को टक्कर देने की तैयारी में तृणमूल, बनाई खास रणनीति

कोलकाता, 23 मई (Udaipur Kiran) ।

पश्चिम बंगाल में अगले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भाजपा के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व आधारित राजनीतिक पहचान को चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रही है। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर नरम रुख रखने वाली तृणमूल अब पहलगांव हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान को आतंकवाद का संरक्षक करार देते हुए कड़ा रुख अपना रही है।

तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेना अब समय की मांग है। वे इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के लिए जापान और अन्य चार देशों की यात्रा पर हैं।

भाजपा जहां ‘तिरंगा यात्रा’ जैसे अभियानों के ज़रिए राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं तृणमूल ने भी पहाड़ से समंदर तक यानी उत्तर बंगाल से लेकर सुंदरबन तक राष्ट्रीय ध्वज के साथ रैलियां निकालीं। साफ़ है कि तृणमूल अब भाजपा को राष्ट्रवाद के मैदान में खुला खेल नहीं खेलने देना चाहती।

तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि अल्पसंख्यक वोट, जो बंगाल में कुल मतदाताओं का लगभग 33 प्रतिशत है, उनके साथ बना रहेगा। साा साथ ही हिंदू मतों का ध्रुवीकरण रोकने के लिए वह अब राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर भाजपा की ‘एकाधिकार’ राजनीति को चुनौती देना सबसे जरूरी है।

तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा, “भाजपा का देशप्रेम बनावटी है। वह सिर्फ हिंदू सैनिक के बलिदान पर राजनीति करती है। तृणमूल ऐसा नहीं करती।”

वहीं भाजपा सांसद शमीक भट्टाचार्य ने पलटवार करते हुए कहा, “तृणमूल की यह रणनीति लोगों को हास्यास्पद लग रही है। तृणमूल कभी भाजपा की विचारधारा को आत्मसात नहीं कर सकती।”

हाल ही में ममता बनर्जी द्वारा फुरफुरा शरीफ की यात्रा और वहां के मौलानाओं को तृणमूल के मंच पर लाना इस बात का संकेत है कि तृणमूल अल्पसंख्यक वोट बैंक को पूरी तरह अपने पक्ष में एकजुट बनाए रखना चाहती है।

बंगाल की 294 सीटों में से करीब 100 सीटों पर अल्पसंख्यक वोट निर्णायक स्थिति में हैं। शेष 194 सीटों पर भाजपा हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करना चाहती है, वहीं तृणमूल उसे तोड़ने की फिराक में है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

Most Popular

To Top