HimachalPradesh

एक विधवा न्याय मांग रही है और सरकार राजनीति कर रही है : बिक्रम ठाकुर

बिक्रम ठाकुर।

धर्मशाला, 22 मई (Udaipur Kiran) ।

हिमाचल प्रदेश आज एक संवेदनशील और चिंताजनक दौर से गुजर रहा है। राज्य के लोग संस्थानों से, विशेषकर पुलिस व्यवस्था और मुख्यमंत्री कार्यालय जैसी संवैधानिक संस्थाओं से अपना विश्वास खोते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने शासन को गुटबाजी, प्रशासनिक अराजकता और राजनीतिक हस्तक्षेप का अड्डा बना दिया है। यह आरोप पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बिक्रम ठाकुर ने यहां जारी प्रेस बयान में लगाये।

उन्होंने कहा कि मुख्य अभियंता स्वर्गीय विमल नेगी की दुखद और रहस्यमयी मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यह पहली बार है जब माननीय उच्च न्यायालय को पुलिस को यह निर्देश देना पड़ा कि उनके अनुमति के बिना मामले में चार्जशीट दाखिल न की जाए और जांच पर सीधी निगरानी रखी जाए। यह इस बात का संकेत है कि जांच को प्रभावित करने की कोशिशें हो रही थीं और न्यायपालिका को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि पुलिस विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी एसपी शिमला और डीजीपी अदालत में अलग-अलग पक्षों में खड़े नजर आए। यह किसी भी सरकार के प्रशासनिक चरित्र पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी अब केवल पार्टी तक सीमित नहीं रही, बल्कि शासन के हर स्तर तक इसका असर पहुंच चुका है।

एक पीड़ित महिला अपने दिवंगत पति के लिए न्याय की गुहार लगा रही है और सरकार की एजेंसियां राजनीति में उलझकर उसकी आवाज को दबाने में लगी हैं। यह न केवल नैतिक पतन है, बल्कि लोकतंत्र और मानवता के प्रति अपराध भी है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल में शासन और न्याय व्यवस्था को जो ठेस पहुंची है, वह एक व्यक्ति विशेष को मुख्यमंत्री बनाने की भूल का परिणाम है। आज पूरा प्रदेश इसकी कीमत चुका रहा है। जनता असुरक्षित महसूस कर रही है, पुलिस व्यवस्था संदिग्ध नजर आ रही है और न्याय की उम्मीद सिर्फ अदालतों पर टिक गई है।

उन्होंने कहा कि वह हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीशों का भी आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए इस मामले में हस्तक्षेप किया और पीड़ित परिवार को न्याय की एक किरण दिखाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हिमाचल को नेतृत्वहीनता और असमर्थता की ओर धकेल दिया है।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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