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विमल नेगी प्रकरण में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, परिजनों ने उठाई सीबीआई जांच की मांग

फाइल फोटो : हिमाचल हाईकोर्ट

शिमला, 21 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के जीएम विमल नेगी की संदिग्ध हालात में हुई मौत के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली है। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ में हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस पर 23 मई को फैसला आ सकता है। मृतक की पत्नी किरण नेगी की ओर से मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की गई।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आरके बावा ने कहा कि राज्य सरकार मामले की पारदर्शी जांच नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच में लगातार विरोधाभास सामने आ रहे हैं और एसआईटी व डीजीपी की रिपोर्ट में भी तथ्य मेल नहीं खा रहे। अधिवक्ता ने एसीएस (गृह) की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की भी मांग की जिसे अदालत ने फिलहाल अस्वीकार कर दिया है।

बावा ने अदालत को बताया कि विमल नेगी 10 मार्च से लापता थे और 18 मार्च को उनका शव गोबिंद सागर झील से मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उनकी मौत झील में मिलने से तीन दिन पहले ही हुई थी जिससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या यह आत्महत्या थी या हत्या की गई। उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता अनूप रतन ने बताया कि सरकार निष्पक्ष जांच चाहती है और समय आने पर एसीएस गृह की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार को एसआईटी और डीजीपी रिपोर्ट में आए मतभेदों की जानकारी नहीं थी और इस पर ध्यान दिया जा रहा है।

परिवार का आरोप है कि सरकार इस पूरे मामले को आत्महत्या का रंग देकर दबाना चाहती है जबकि नेगी की हत्या की गई है। इसी आधार पर किरण नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।

बता दें कि इस मामले में पावर कॉरपोरेशन के निदेशक देशराज को सरकार ने निलंबित कर दिया था जबकि एमडी हरिकेश मीणा को पद से हटा दिया गया था। पुलिस ने देशराज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। देशराज को सुप्रीम कोर्ट से और मीणा को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। लेकिन परिजनों ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इसमें बड़े अधिकारियों को बचाया गया है और जांच एकतरफा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अब राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं रहा।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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