
गुवाहाटी, 20 मई (Udaipur Kiran) । गुवाहाटी में बाढ़ नियंत्रण की दिशा में एक अहम कदम के तहत मंगलवार को सिलसाकू स्थित अमीय कुमार दास सामाजिक परिवर्तन एवं विकास संस्थान (ओकेडीआईएससीडी) में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शहरी मामलों के मंत्री जयंतमल्ल बरुवा की मौजूदगी में शुरू की गई। यह अभियान राज्य सरकार की बहुप्रतीक्षित सिलसाकू रिज़र्वॉयर परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शहर में दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
मंत्री बरुवा ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में जलसंग्रहण टैंक निर्माण हेतु अतिक्रमण हटाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी कई अवैध ढांचों को हटाया जा चुका है।
उन्होंने आश्वस्त किया कि यह प्रक्रिया किसी एक संस्था या समूह को लक्षित नहीं कर रही है, बल्कि समान रूप से सभी अतिक्रमणों पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिंजर होटल, होटल प्रबंधन संस्थान और ओकेडी संस्थान सभी इस परियोजना के दायरे में आते हैं। ओकेडी संस्थान के साथ आपसी सहमति और संवाद के बाद भूमि की पहचान कर ली गई है। संस्थान को सम्मानपूर्वक और समझौते के अनुसार स्थानांतरित किया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि सहकारी संस्थान को 30 मई तक स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जबकि आईएचएम को जून में हटाया जाएगा। इसके बाद जिंजर होटल और टेनिस कोर्ट की बारी आएगी। सरकार सभी संस्थानों को इस दौरान पूरा सहयोग प्रदान करेगी।
मंत्री ने कहा, हमारा लक्ष्य है कि इस वर्ष की बाढ़ से पहले सभी अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। सूखे मौसम में जलाशय की खुदाई शुरू होगी और निर्धारित सभी क्षेत्रों में कार्य किया जाएगा। परियोजना के पूर्ण होने पर यह जलाशय बड़ी मात्रा में बाढ़ का पानी संचित कर ब्रह्मपुत्र नद में सुरक्षित रूप से छोड़ सकेगा।
उन्होंने कहा, यह परियोजना हमारे लंबे समय से चले आ रहे विज़न को साकार कर रही है। जिन संस्थानों को हटाना कभी असंभव माना जाता था, आज हम सब मिलकर इस सपने को हकीकत में बदल रहे हैं।
सरकारी भूमि पर निवास करने वाले पात्र विस्थापितों को पहले ही मुआवजा दिया जा चुका है। जिन वास्तविक लाभार्थियों के नाम छूट गए हैं, उनकी जांच गुवाहाटी महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) द्वारा की जा रही है और नियमानुसार उन्हें भी मुआवजा मिलेगा।
आगामी हटाए जाने वाले संस्थानों — आईएचएम, जिंजर होटल और टेनिस कोर्ट — के लिए भी यही पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। ओकेडी संस्थान और सहकारी संस्था को पहले ही नई भूमि आवंटित की जा चुकी है।
फिलहाल परियोजना के तहत पांच प्रमुख स्थलों की पहचान कर ली गई है। खुदाई कार्य जल्द शुरू होगा। यदि ब्रह्मपुत्र का जलस्तर कम रहता है तो जलाशय का पानी उसमें छोड़ा जाएगा, अन्यथा जलाशय में संग्रहित रखा जाएगा, ताकि शहर को पीछे से आने वाले जलप्रवाह से सुरक्षा मिल सके।
मंत्री ने विश्वास जताया कि खुदाई कार्य छह माह में पूर्ण हो सकता है, हालांकि, पर्यावरण और प्रशासनिक कारकों के कारण इसमें कुछ परिवर्तन संभव है। उन्होंने कहा, अगर हम समय पर रहे, तो अगले मानसून तक गुवाहाटी को बाढ़ से राहत मिलने लगेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की बड़ी परियोजनाएं समय, विधिक प्रक्रिया और कई विभागों के समन्वय की मांग करती हैं।
इससे पहले मंत्री बरुवा ने गुवाहाटी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण भी किया। खास बात यह रही कि उन्होंने दोपहिया वाहन पर सवार होकर जलजमाव वाले क्षेत्रों का दौरा किया।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
