HimachalPradesh

मुख्यमंत्री सुक्खू 10 जून को शिपकी-ला से सीमा पर्यटन की करेंगे शुरुआत

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शिमला, 20 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को गति देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू आगामी 10 जून को किन्नौर जिले के शिपकी-ला से सीमा पर्यटन की औपचारिक शुरुआत करेंगे। इस अवसर पर वे एक सद्भावना साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

राज्य सरकार को हाल ही में रक्षा मंत्रालय से शिपकी-ला, लेप्चा, गिउ और रानी कंडा जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों की अनुमति प्राप्त हुई है। इन क्षेत्रों में प्रवेश के लिए पर्यटकों को आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल न केवल राज्य के सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि स्थानीय लोगों की आर्थिकी को भी मजबूती प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने आज यहां सेना और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने सीमा से जुड़े विकास कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सीमांत क्षेत्रों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हुए सभी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा किया जाए। लोक निर्माण विभाग और बीआरओ के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर कार्यों में गति लाने पर भी बल दिया गया।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्र सरकार के समक्ष हिमाचल स्काउट बटालियन की स्थापना का मामला उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि स्थानीय युवा क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों से भलीभांति परिचित हैं और यह विशेष बल सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा की दृष्टि से बेहद उपयोगी रहेगा।

पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से स्पीति घाटी के रंगरीक में हवाई अड्डा स्थापित करने का प्रस्ताव भी केंद्र को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण निथलथाच-हर्षिल सड़क परियोजना को प्राथमिकता देने की बात कही और कहा कि यह परियोजना हिमाचल और उत्तराखंड को जोड़ते हुए पर्यटन और व्यापार के नए रास्ते खोलेगी।

सुक्खू ने बीआरओ को संसारी-किलाड़-थिरोट-तांदी सड़क का निर्माण कार्य तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का 35% कार्य पूर्ण हो चुका है और शेष कार्य को शीघ्र पूरा करने के लिए बीआरओ को सभी आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी अहम सुझाव दिए। उन्होंने सेना अधिकारियों से आग्रह किया कि वे प्रदेश विपणन बोर्ड के माध्यम से दूध के साथ-साथ जौ, गेहूं और मक्का जैसे प्राकृतिक कृषि उत्पादों की भी खरीद करें। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी उपलब्ध करवा रही है।

बैठक में उपस्थित उत्तर भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जी.डी. मिश्रा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि सेना सीमावर्ती क्षेत्र में सेब प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना करेगी और जून माह में मोतियाबिंद सर्जरी के लिए चिकित्सा शिविर भी आयोजित किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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