Jharkhand

अन्नदाता ही भूखा रह जाए तो वह शासन नहीं, शर्म है: राफिया नाज

फ़ाइल फ़ोटो

रांची, 19 मई (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज ने सोमवार को कहा कि झारखंड के मेहनतकश किसानों को छह महीने बाद भी उनकी उपज का पूरा भुगतान न मिल पाया है। यह राज्य सरकार की अक्षमता और संवेदनहीनता का स्पष्ट प्रमाण है। 36,497 किसानों ने सरकार पर भरोसा करते हुए 5.07 लाख क्विंटल धान की आपूर्ति की, लेकिन उनमें से 9,615 किसानों को आज भी उनका हक नहीं मिला है। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि 4,929 किसानों को अब तक एक भी रुपया नहीं मिला है।

राफिया ने कहा कि किसानों की जेबें खाली हैं, खेत सूने पड़े हैं और सरकार मौन है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में झारखंड की कृषि व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी। उन्होंने कहा की भुगतान की प्रक्रिया में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार व्याप्त है, जिसका एक उदाहरण हजारीबाग जिले में ही दो दरों में 40 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है, जो शासन प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

भाजपा प्रवक्ता ने राज्य सरकार से सवाल किया कि किसानों को भुगतान में हो रही देरी के लिए जिम्मेदार कौन है? किस अधिकारी ने इन निर्दोष किसानों को दर-दर भटकने पर मजबूर किया? क्या इनका कोई जवाबदेह नहीं है? जब अन्नदाता ही भूखा रह जाए, तो वह शासन नहीं, शर्म है। राज्य सरकार की नीतियां केवल कागजों पर हैं, जमीनी सच्चाई इससे कहीं अधिक दर्दनाक और अन्यायपूर्ण है। जिस सरकार को किसानों की मेहनत का सम्मान करना चाहिए, वहीं सरकार उन्हें छह महीने से झूठे वादों और तारीखों की जाल में उलझा रही है।

राफिया ने कहा कि झारखंड की कृषि व्यवस्था एक गहरे संकट से गुजर रही है। सरकार द्वारा धान क्रय की प्रक्रिया में जिस प्रकार की ढिलाई, लापरवाही और भ्रष्टाचार सामने आया है, वह प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि किसानों के प्रति एक संगठित उपेक्षा है। राज्य खाद्य निगम के रिकॉर्ड के अनुसार अब तक लगभग 128 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका से जुड़ा सवाल है।

राफिया ने कहा कई किसानों ने बैंक से कर्ज लेकर बीज, खाद, ट्रैक्टर और मजदूरी में निवेश किया , इस उम्मीद में कि उन्हें समय पर भुगतान मिलेगा। लेकिन सरकार की निष्क्रियता ने उन्हें भारी कर्ज़ तले दबा दिया है। गांव-गांव से मिल रही रिपोर्ट्स बताती हैं कि किसान अब खेती से पीछे हटने पर मजबूर हो रहे हैं। रांची, हजारीबाग, गिरिडीह, चतरा और कोडरमा जैसे जिलों में किसान संगठनों ने कई बार प्रदर्शन किए, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

उन्होंने कहा कि किसानों को अपने भुगतान के लिए बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। न बैंक जवाब दे रहे हैं और न ही संबंधित विभाग। कई किसानों ने मजबूरी में कर्ज लिया है, कुछ ने अपनी जमीन तक गिरवी रख दी है। सरकार ने न केवल उनके आर्थिक जीवन को संकट में डाला है, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने किसानों की लंबित राशि का तत्काल भुगतान करने की मांग करते हुए कहा कि यदि भुगतान में और देरी होगी, तो इसका सीधा असर अगली फसल पर पड़ेगा।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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