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सेना की अग्रिम चौकियों के लिए स्थानीय पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति शुरू

सीडीओ डॉ. अभिषेक त्रिपाठी  झंडी दिखाकर आपूर्ति वाहनों को  रवाना करते।

-पहले चरण में अग्रिम चौकी माणा और मलारी के लिए रवाना की गई पोल्ट्री उत्पादों की खेप

-सीडीओ डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने झंडी दिखाकर आपूर्ति वाहनों को किया रवाना

देहरादून, 19 मई (Udaipur Kiran) । भारतीय सेना अब पशुपालन विभाग के माध्यम से प्रदेश के स्थानीय किसानों से पोल्ट्री उत्पादों की खरीद करेगी। सोमवार को जनपद चमोली में भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों -माणा व मलारी के लिए आपूर्ति की पहली खेप रवाना की गई। मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने झंडी दिखाकर आपूर्ति को रवाना किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चमोली जनपद से शुरू हुई यह ऐतिहासिक पहल जिसमें भारतीय सेना को स्थानीय किसानों और पशुपालकों की ओर से भेड़, बकरी एवं पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक मजबूत कदम है। हमारे सीमावर्ती गांवों के पशुपालकों को एक स्थायी और सुनिश्चित बाजार मिलेगा। यह पहल ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना को नई दिशा देने के साथ-साथ गांवों से हो रहे पलायन को रोकने में भी सहायक सिद्ध होगी।

पशुपालन विभाग की इस पहल के तहत उत्तराखण्ड में सेना की अग्रिम चौकियों पर स्थानीय स्तर पर उत्पादित भेड़, बकरी एवं पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण में पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है।

जोशीमठ से रवाना की गई प्रथम खेप में भारतीय सेना की माणा पोस्ट व मलारी पोस्ट को पोल्ट्री की आपूर्ति की गई ,जो स्थानीय पशुपालक गुलशन सिंह राणा और सौरभ नेगी की ओर से उपलब्ध कराई गई। इस पहल का उद्देश्य उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय पशुपालकों को स्थानीय स्तर पर ही एक सुदृढ़ बाजार व्यवस्था प्रदान करना है। इसके माध्यम से उनके उत्पादों का सही मूल्य एवं नियमित भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।

गौरतलब है कि पशुपालन विभाग की ओर से आईटीबीपी के साथ पूर्व में एमओयू किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप, पशुपालकों को स्थानीय बाजार उपलब्ध हुआ है। इसी प्रकार सेना को जीवित भेड़, बकरी एवं कुक्कुट की आपूर्ति के नये बाजार की संभावना से वाईब्रेंट ग्रामों के पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी का साधन प्राप्त होगा और रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार की व्यवस्था भी सुनिश्चित हुई है। यह पहल वाइब्रेंट गांवों से पलायन की समस्या को समाप्त करने में भी सहायक सिद्ध होगी।

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. अशीम देब व उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी एवं जनपद चमोली के परियोजना समन्वयक डॉ. पुनीत भट्ट उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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