Assam

पुनर्विकसित हयबरगांव रेलवे स्टेशन का 22 मई को होगा उद्घाटन

हयबरगांव रेलवे स्टेशन की तस्वीर।

गुवाहाटी, 19 मई (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमृत भारत स्टेशन योजना (एबीएसएस) के तहत देश भर में 103 पुनर्विकसित रेलवे स्टेशनों का वर्चुअली उद्घाटन आगामी 22 मई करेंगे, जो भारतीय रेलवे की बुनियादी संरचना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इनमें असम का ऐतिहासिक हयबरगांव रेलवे स्टेशन, जिसका निर्माण मूल रूप से 1887 में हुआ था, एक प्रमुख लाभार्थी है। नगांव के केंद्र में स्थित, यह स्टेशन लंबे समय से एक प्रमुख परिवहन नोड के रूप में सेवा दे रहा है, जिसने क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक जीवंतता में योगदान दिया है। लगभग 1,200 यात्रियों की औसत दैनिक आवाजाही के साथ, एबीएसएस के तहत इसका कायाकल्प समावेशी और सुदृढ़ बुनियादी संरचना का विकास सरकार के विजन को दर्शाता है।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने आज बताया है कि हयबरगांव रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास ने इसे एक समकालीन पहचान दी है, साथ ही बाढ़ की आशंका और सीमित पहुंच जैसी गंभीर क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान किया है। स्टेशन में अब एक भव्य प्रवेश द्वार, एक नवनिर्मित स्टेशन भवन और एक विशाल कॉनकोर्स क्षेत्र है। आधुनिक प्रतीक्षालय, मॉड्यूलर और दिव्यांगजनों के अनुकूल शौचालयों के साथ यात्री सुविधाओं में काफी वृद्धि की गई है। इसके अतिरिक्त, नव विकसित स्टेशन में शिशु आहार सुविधाओं के साथ-साथ एक जलपान कक्ष भी उपलब्ध किया गया है। प्लेटफ़ॉर्म की सतह को पुनर्निर्मित किया गया है और सर्कुलेटिंग एरिया को दो, तीन और चार पहिया वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग ज़ोन के साथ डिजाइन कर पुनर्निर्मित किया गया है, जिसमें समर्पित पैदल यात्री मार्ग भी हैं। स्टेशन में सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए टैकटाइल टाइल्स, रैंप और सुलभ टिकट काउंटर भी शामिल हैं। अन्य अपग्रेड में हाई-मास्ट लाइटिंग, अपग्रेडेड पैसेंजर एड्रेस सिस्टम, बेहतर साइनेज, लैंडस्केप्ड ग्रीन जोन और असम की सांस्कृतिक विरासत वाले भित्ति चित्र एवं थीम आधारित प्रतिमाओं की स्थापना शामिल है।

हयबरगांव स्टेशन का पुनर्विकास एक फिजिकल अपग्रेड से कहीं अधिक है क्योंकि यह यात्री अनुभव को बेहतर बनाने एवं क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक नई प्रतिबद्धता को दर्शाता है। बेहतर सुविधाओं और कनेक्टिविटी के साथ, यह स्टेशन काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य और बोरदोवा थान जैसे आस-पास के आकर्षणीय पर्यटन स्थलों के प्रवेश द्वार के रूप में सेवा देने को तैयार है। यह पहल न केवल पूर्वोत्तर भारत की अवसंरचनात्मक रीढ़ को मजबूत करती है, बल्कि ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ योजना के तहत निर्मित कियोस्क के माध्यम से स्थानीय वाणिज्य को भी सहयोग प्रदान करती है। पूसीरे इस परिवर्तनकारी यात्रा का हिस्सा बनने पर गर्व करता है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को जीवंत और समावेशी भविष्य की आकांक्षाओं से जोड़ना है।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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