Uttrakhand

मुख्यमंत्री ने ‘इको सर्विस’ मुआवजे और वन आधारित कर हस्तांतरण में बढ़ोतरी की मांग की

डॉ. अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।
डॉ. अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

– मुख्यमंत्री ने वित्त आयोग के समक्ष रखी राज्य की वित्तीय चुनौतियां और जरूरतें

देहरादून, 19 मई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों के साथ बैठक में प्रदेश की वित्तीय परिस्थितियों, चुनौतियों व विकास आवश्यकताओं पर राज्य का पक्ष रखा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की ’ईको सर्विस लागत’ को देखते हुए ‘इनवॉयरमेंटल फेडरललिज्म’ की भावना के अनुरूप क्षतिपूर्ति का अनुरोध किया। साथ ही ’कर-हस्तांतरण’ में वन आच्छादन के लिए निर्धारित भार को 20 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वनों के उचित प्रबंधन और संरक्षण के लिए विशेष अनुदान पर भी विचार किया जाना चाहिए।

देहरादून स्थित सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार और राज्यों के मध्य बेहतर वित्तीय समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से आयोजित विशिष्ट बैठक में उपस्थित वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया, आयोग के सदस्यग ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, डा. मनोज पाण्डा, डा. सौम्या कांति घोष, सचिव ऋत्विक पाण्डेय, संयुक्त सचिव केके मिश्रा का उत्तराखंड राज्य स्थापना के इस रजत जयंती वर्ष में देवभूमि उत्तराखंड पधारने पर स्वागत किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने अन्य क्षेत्रों की भांति वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य स्थापना के पश्चात राज्य के आधारभूत इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए बाह्य ऋणों पर निर्भर रहना पड़ा। राज्य ने जहां एक ओर विकास के विभिन्न मानकों के आधार पर उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं, वहीं बजट का आकार एक लाख करोड़ रूपए को पार कर गया है। नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2023-24 की एसडीजी इंडेक्स रिपोर्ट में उत्तराखंड सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले राज्यों में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। प्रदेश की बेरोजगारी दर में रिकॉर्ड 4.4 प्रतिशत की कमी आई है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में 11.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2010 में ’इंडस्ट्रीयल कन्सेसनल पैकेज’ के खत्म होने के पश्चात ’लोकेशनल डिस्एडवान्टेज’ की पूर्ति करने में कठिनाई आ रही है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों और अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी अत्यंत सीमित है। इस कारण इन क्षेत्रों के लिए विशेष बजट प्राविधान करने पड़ते हैं। स्मार्ट क्लास, क्लस्टर स्कूल एवं दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कम लागत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही टेली मेडिसिन, विशेष एंबुलेंस सेवा तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का भी प्रयास किया जा रहा है।

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य हर क्षेत्र में तेजी विकास कर रहा है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है। बेरोजगारी को कम करने की दिशा में भी राज्य में अच्छा कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत जिन चुनौतियों का सामना उत्तराखण्ड समेत अन्य पर्वतीय राज्य कर रहे हैं, उनके समाधान के लिए व्यापक स्तर पर विचार विमर्श किया जायेगा। उन्होंने कहा कि 16वें वित्त आयोग द्वारा 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

इस अवसर पर वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य की विभिन्न चुनौतियों पर प्रस्तुतीकरण दिया। बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एल. फैनई, आर. मीनाक्षी सुंदरम आदि मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal

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