सिरसा, 19 मई (Udaipur Kiran) । चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन, सामाजिक जागरूकता और स्वदेशी के प्रेरणास्रोत सतगुरु राम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए विश्वविद्यालय के मल्टीपर्पज़ हॉल का नाम ‘सतगुरु राम सिंह सभागार’ रखने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह निर्णय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई द्वारा लिया गया।
विश्वविद्यालय के कार्यकारी अभियंता राकेश गोदारा ने सोमवार को बताया कि विश्वविद्यालय में विभिन्न भवनों के नामकरण की प्रक्रिया के तहत यह निर्णय लिया गया है। इससे पहले टीचिंग ब्लॉक-5 का नाम माता अहिल्याबाई होल्कर भवन रखा गया है। अब विश्वविद्यालय परिसर में ‘सतगुरु राम सिंह सभागार’ के रूप में एक और प्रेरक स्थल जुडऩे जा रहा है।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि सतगुरु राम सिंह 19वीं सदी के महान संत, समाज-सुधारक और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। उन्होंने नामधारी आंदोलन की शुरूआत की और स्वदेशी, बहिष्कार आंदोलन, नारी सशक्तिकरण, बाल विवाह विरोध, नशामुक्ति और जातिवाद उन्मूलन जैसे अनेक सामाजिक सुधारों का नेतृत्व किया। उनके अनुयायी उन्हें भारत की आजादी की पहली संगठित क्रांति का जनक मानते हैं।
कुलपति ने कहा कि सतगुरु राम सिंह केवल धार्मिक संत ही नहीं थे, बल्कि वह सामाजिक क्रांति के अग्रदूत भी थे। विश्वविद्यालय परिसर में उनके नाम पर सभागार स्थापित करना नई पीढ़ी को राष्ट्र प्रेम, अनुशासन, सामाजिक न्याय और आत्मनिर्भरता का संदेश देगा। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय का प्रयास है कि शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक विरासत और प्रेरणादायक इतिहास से जोड़ा जाए। ‘सतगुरु राम सिंह सभागार’ इसी दिशा में एक सार्थक पहल है।
उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी के दिन 3 फरवरी 1816 में पंजाब के लुधियाना जिला के राइयां भैणी गांव में एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे सतगुरु राम सिंह ने भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। उन्होंने गुलामी की जंजीरों को तोडऩे के लिए पंजाब की धरती से रूस तक एक क्रांतिकारी विचारधारा का प्रसार किया।
—
—————
(Udaipur Kiran) / Dinesh Chand Sharma
