
चित्तौड़गढ़, 19 मई (Udaipur Kiran) । राजपूत समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों और सदस्यों ने महाराणा प्रताप के सहयोगी राणा पूंजा की भूपालसागर में भील राजा के रूप में मूर्ति लगाने का विरोध जताया है। इस मामले को लेकर समाज के लोगों ने प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर आलोक रंजन को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में बताया कि राणा पूंजा पानरवा के क्षत्रिय राजपूत सोलंकी शासक थे। वे महाराणा प्रताप के सहयोगी थे और पानरवा क्षेत्र भील बाहूल्य होने के चलते भील जाति के लोग उनके सहयोगी थे। लेकिन इतिहास को विकृत कर राजपूत शासक को भील बताया जा रहा है। राजपूत समाज के लोगों ने शिकायत की कि भूपालसागर चौराहे पर मूर्ति लगा कर राणा पूंजा को आदिवासी वेषभूषा में प्रस्तुत किया जा रहा है, जो सम्पूर्ण राजपूत समाज का अपमान है। इसे लेकर उन्होंने या तो मूर्ति हटाने या राजपूत समाज की पारम्परिक वेशभूषा में मूर्ति स्थापित करने की मांग की है। वहीं चेतावनी दी है कि इस प्रकार से नामकरण करने से जाति वैमनस्य फैल सकता है। वहीं उन्होंने बताया कि राणा पूंजा सोलंकी के वंशजों ने उच्च न्यायालय में इस संबंध में वाद भी पेश किया हुआ है। ज्ञापन देने के दौरान राणा पूंजा के सोलहवीं पीढ़ी के वंशज मनोहर सिंह की पुत्रवधु कृष्णा कुमारी भी पहुंची। इस दौरान जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष राव नरेन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष निर्मला कंवर, संयुक्त मंत्री गजराज सिंह बराड़ा, क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष सहदेव सिंह, लक्ष्मण सिंह बड़ौली, दिलीप सिंह, पुष्पेन्द्र सिंह, भंवर सिंह, नरोत्तम सिंह, नरपतसिंह भाटी, अरविन्द सिंह, कानसिंह सुवावा, सरला कंवर, श्याम कंवर सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / अखिल
