श्रीनगर, 19 मई (Udaipur Kiran) । पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रमुख बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को तैनात करने के फैसले का विरोध किया है इसे क्षेत्र के युवाओं के बीच बेरोजगारी को दूर करने का एक चूका हुआ अवसर बताया है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को संबोधित एक पत्र में मुफ़्ती ने कहा कि सैन्य दिग्गजों की सेवा का सम्मान किया जाता है लेकिन स्थिर गार्ड ड्यूटी के लिए सैन्य विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती है और प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं द्वारा प्रभावी ढंग से इसे संभाला जा सकता है।
उन्होंने लिखा कि इस तरह का रोजगार जम्मू-कश्मीर में शिक्षित लेकिन बेरोज़गार युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा हो सकता है। बेरोज़गार युवाओं की तुलना में सेवानिवृत्त सैनिकों को प्राथमिकता देना जिनमें से कई पहले से ही पेंशन प्राप्त कर रहे हैं अलगाव की भावना को गहरा करने का जोखिम हैं।
मुफ़्ती ने चेतावनी दी कि इस कदम को अल्पकालिक सुरक्षा उपाय के रूप में देखा जा सकता है जो दीर्घकालिक शांति और स्थिरता में योगदान करने में विफल रहता है। उन्होंने तर्क दिया कि इन भूमिकाओं में स्थानीय युवाओं को शामिल करने से न केवल रोजगार पैदा होगा बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने में समावेशिता विश्वास और साझा जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ेगी।
एक्स पर एक पोस्ट में महबूबा ने उमर साहब को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि वे प्रमुख प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को नियुक्त करने के अपने सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करें। जबकि मैं अपने पूर्व सैनिकों के प्रति अत्यंत सम्मान और कृतज्ञता रखती हूँ हमें जम्मू-कश्मीर में युवाओं को प्रभावित करने वाली बेरोजगारी के बढ़ते संकट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और न ही कर सकते हैं जिनकी संख्या अब लाखों को पार कर गई है।
बढ़ती बेरोजगारी सिर्फ़ आर्थिक समस्या नहीं है बल्कि सामाजिक आपातकाल भी है। निराशा के बीच कम अवसर मिलने से कई युवा नशे की लत में फंस रहे हैं और दुखद रूप से कुछ तो आत्महत्या तक कर रहे हैं। हमें उनके भविष्य के बारे में ज़्यादा सोच-समझकर उनकी मदद करनी चाहिए।
(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता
