HimachalPradesh

 राजगढ़ की खुमानी देश भर में मचा रही धूम, लेकिन दामों में भारी गिरावट से बागवान परेशान

राजगढ़ क्षेत्र की खुमानी इन दिनों देश भर की फल मंडियों में मचा रही है धूम

नाहन, 18 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के राजगढ़ क्षेत्र को फल, सब्जियां, फूलों और मसालों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां के मेहनती किसान और बागवान विविध फसलों का उत्पादन करते हैं। इन दिनों क्षेत्र में खुमानी का सीजन जोरों पर है और यहां की खुमानी देशभर की प्रमुख मंडियों में अच्छी मांग में है। बावजूद इसके, बागवानों को उचित मूल्य न मिलने से निराशा हाथ लग रही है।

राजगढ़ क्षेत्र में खुमानी की विभिन्न किस्मों की बागवानी की जाती है और इसकी गुणवत्ता के कारण इसे देश की प्रमुख मंडियों में भेजा जाता है। वर्तमान में एशिया की सबसे बड़ी फल मंडी, आजादपुर दिल्ली में खुमानी का भाव गुणवत्ता के अनुसार 40 से 80 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है, जबकि कुछ किसानों की खुमानी मात्र 20 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। यह दरें पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।

कोटली गांव के बागवान राजेश ठाकुर के अनुसार उनके पास खुमानी के करीब 600 पौधे हैं, जिनसे इस बार लगभग 200 पेटी खुमानी का उत्पादन हुआ है। उन्होंने बताया कि इस बार पहले ओलावृष्टि ने फसल को नुकसान पहुंचाया और अब बाजार में दामों में गिरावट से लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है। उनका कहना है कि मौजूदा भाव से न तो उत्पादन लागत निकल पा रही है और न ही परिवहन व अन्य खर्चे।

राजगढ़ क्षेत्र की जलवायु खुमानी उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस समय पूरे क्षेत्र में लगभग 223 हेक्टेयर भूमि पर खुमानी की बागवानी की जा रही है, जिससे हर वर्ष लगभग 683 मीट्रिक टन खुमानी का उत्पादन होता है।

बागवानों ने सरकार से आग्रह किया है कि खुमानी की न्यूनतम समर्थन मूल्य तय की जाए या बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत राहत प्रदान की जाए, ताकि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके और भविष्य में इस नुकसान से बचा जा सके।

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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर

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